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जहर घोलते लोग !
आज जालिम कट्टरवाद के तहत लोग धार्मिक और सांप्रदायिक जहर घोल रहे हैं, जो उचित नहीं है और बड़ा घातक है. जनहित और राष्ट्रहित में इसे तुरंत रोकना बहुत जरूरी है, वरना इसके गंभीर और घातक परिणामों के साथ शायद देश में एक और नये जनमत की कहीं जरूरत न पड़ जाये. बड़ा दुर्भाग्य तो […]
आज जालिम कट्टरवाद के तहत लोग धार्मिक और सांप्रदायिक जहर घोल रहे हैं, जो उचित नहीं है और बड़ा घातक है. जनहित और राष्ट्रहित में इसे तुरंत रोकना बहुत जरूरी है, वरना इसके गंभीर और घातक परिणामों के साथ शायद देश में एक और नये जनमत की कहीं जरूरत न पड़ जाये. बड़ा दुर्भाग्य तो यह है कि कोई भी पार्टी तो इस पर ठीक नहीं है. सभी अपने घटिया राजनैतिक स्वार्थ में बुरी तरह लिप्त हैं और उसी तरह बेहद घृणित हरकतों से अपनी रोटियां सेंक रही हैं. हर राजनीतिक पार्टियां इस हमाम में कभी की नंगी हो चली है.
अब तक इस देश में सभी धर्मों के लोग आपस में प्रेम से रहते आये हैं और आज भी उसी प्रेम और भाई चारे से रह रहें हैं क्योंकि वे आपसी भाईचारे और मानवता को ही सर्वोपरि मानते और समझते हैं, जिसका जिक्र मुंशी प्रेमचंद ने भी अपनी कहानी ‘पंच परमेश्वर’ और ‘मुक्तिधन’ में भी साफ किया है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सदा हाथ को हाथ ही धोता है.
-वेद मामूरपुर, नरेला
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