आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल कम से कम अपने किये वादों को पूरा करने की बानगी तो दे देते, जिससे बेचारी जनता को कुछ विश्वास तो होता. मगर दुर्भाग्य से उन्होंने यह भी तो नहीं किया.
यह तो वही बात हुई कि शादी में द्वार पर दूल्हे के लिए घोड़ी सजी खड़ी है, बाराती भी बेचारे सज-धज कर खुशी से नाच रहे हैं और जोर-जोर से मधुर ध्वनि में बैंड-बाजे भी बज रहे हैं, मगर दूल्हा ही दुर्भाग्य से घोड़ी पर चढ़ने को तैयार नहीं है.
ऐसे में जनता उन पर कैसे और कब तक विश्वास करेगी? केजरीवाल को कम से कम एक बार सरकार बना कर अपनी घोषणाएं बतौर बानगी जरूर लागू करनी चाहिए थी, ताकि जनता को कुछ भरोसा तो होता. लेकिन दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने से पहले उन्होंने कई नियम और शर्ते लागू कर दीं. अब आगे इस पर जनता क्या रुख होगा, यह तो समय ही बतायेगा.
वेद प्रकाश, नयी दिल्ली