19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गुजरात मॉडल में आम आदमी

।। डॉ भरत झुनझुनवाला ।। अर्थशास्त्री भाजपा को 2004 की हार का पुनर्विवेचन करना चाहिए. तब भी ऊपरी वर्गों के लिए ‘इंडिया शाइनिंग’ प्रभावी था. एनडीए सरकार ने देश का आत्मसम्मान बढ़ाया था. नेशनल हाइवे का जाल बिछाने के साथ आइटी क्रांति की नींव रखी थी, फिर भी एनडीए हारा था. इस समय नरेंद्र मोदी […]

।। डॉ भरत झुनझुनवाला ।।

अर्थशास्त्री

भाजपा को 2004 की हार का पुनर्विवेचन करना चाहिए. तब भी ऊपरी वर्गों के लिए ‘इंडिया शाइनिंग’ प्रभावी था. एनडीए सरकार ने देश का आत्मसम्मान बढ़ाया था. नेशनल हाइवे का जाल बिछाने के साथ आइटी क्रांति की नींव रखी थी, फिर भी एनडीए हारा था.

इस समय नरेंद्र मोदी को लेकर देश में हवा सी दिख रही है. ऐसी ही हवा 1997 में अटल विहारी वाजपेयी के नेतृत्व में दिखी थी, लेकिन वाजपेयी सरकार 2004 में हार गयी. वाजपेयी ने आइटी सेक्टर में क्रांति, परमाणु विस्फोट, सरकारी कंपनियों का निजीकरण एवं गोल्डन ट्राइएंगल हाइवे जैसे प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक लागू किये थे.

मध्यम वर्ग वाजपेयी से प्रसन्न था, परंतु सोनिया गांधी ने आम आदमी के वंचित रह जाने के मुद्दे को उठाया था और भाजपा ने सत्ता गंवा दी थी. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में पुन: वैसा ही घटनाक्रम बनता दिख रहा है.

इसमें कोई संदेह नहीं कि मोदी ने देश के सम्मान को बढ़ाया है. आपने नवाज शरीफ द्वारा मनमोहन सिंह को ‘देहाती औरत’ कहने का विरोध किया. इसमें भी संदेह नहीं है कि गुजरात में आर्थिक विकास जोर पर है. टाटा को पश्चिम बंगाल से नैनो का कारखाना उठाना पड़ा था. तब गुजरात ने तीन दिन के अंदर टाटा को उपलब्ध कराने के लिए भूमि चिह्नित कर ली थी.

आज नैनो गुजरात में बन रही है. गुजरात में बिजली 24 घंटे उपलब्ध है. सरप्लस बिजली बेची जा रही है. जाति अथवा संप्रदायिक तनाव पूर्व में जो भी रहा हो, वर्तमान में नहीं है. भ्रष्टाचार नियंत्रण में है. मुङो कुछ समय पहले अहमदाबाद जाने का अवसर मिला था. टैक्सी ड्राइवर ने बताया कि पहले लाइसेंस बनवाने के लिए दो हजार रुपये घूस में देना होता था.

आज एक रुपया भी घूस नहीं देना पड़ता है. छोटे और बड़े सभी एक ही लाइन में लग कर लाइसेंस बनवाते हैं. देश के स्वाभिमान को बढ़ाना, भ्रष्टाचार मुक्त होना और कुशल प्रशासक होना, मोदी के ये काबिलेतारीफे गुण जनता को उनकी ओर खींच रहे हैं.

इन उपलब्धियों के बावजूद देखना चाहिए कि मोदी के मॉडल में आम आदमी की भूमिका क्या है? गुजरात की विकास दर में उछाल क्यों नहीं आ रहा है? वित्त मंत्रलय के आंकड़ों के अनुसार 2005 से 2011 के बीच महंगाई काटने के बाद प्रमुख राज्यों की प्रति व्यक्ति आय में वृद्घि इस प्रकार है- महाराष्ट्र 12.5, तमिलनाडु 12.2, बिहार 12, हरियाणा 9.3, कर्नाटक 7.7 एवं गुजरात 7.7 प्रतिशत. इनमें अग्रणी राज्य तमाम समस्याओं से ग्रसित हैं, जैसे बिजली की अनुपलब्धता और चौतरफा भ्रष्टाचार, परंतु इनकी विकास दर गुजरात से ज्यादा है. ऐसा क्यों?

गुजरात की विद्वान दर्शिनी महादेविया ने यह गुत्थी सुलझायी. आपने बताया कि मोदी के नेतृत्व में विकास बड़े शहरों में केंद्रित है. छोटे शहरों और गांवों की हालत कमजोर है. जैसे गुजरात सरप्लस बिजली को बेच रहा है, जबकि वहां 11 लाख परिवार अंधेरे में हैं. यदि इस बिजली को इन 11 लाख परिवारों को दे दिया जाता, तो इनकी क्रयशक्ति बढ़ती और गुजरात की विकास दर में भी इजाफा होता.

राज्य की आबादी का बड़ा हिस्सा ‘विकास’ से वंचित है. उनकी स्थिति जैसी 10 वर्ष पहले थी, वैसी ही अब है. इसलिए कई दूसरे राज्यों की विकास दर गुजरात से ज्यादा है. उन राज्यों में बिजली नहीं है, भ्रष्टाचार है, लेकिन आम आदमी की आय में भी वृद्घि हो रही है. बिहार की 12 प्रतिशत की विकास दर मुख्यत: आम आदमी की आय में हो रहे सुधार के कारण ही दिखती है.

गुजरात में विकास शहरों के ऊपरी और मध्यम वर्गो में केंद्रित है. अतएव सबकुछ अच्छा होते हुए भी गुजरात की विकास दर सामान्य है. यही कारण है कि रघुराम राजन के नेतृत्व में गठित कमेटी ने विकास के मानदंड पर गुजरात को 12वें स्थान पर रखा है, जबकि उद्यमियों से बात करें तो गुजरात पहले स्थान पर है.

राजन कमेटी ने विकास के मानदंडों में सामान्य आबादी से संबद्घ सूचकांकों को महत्व दिया है, जैसे बाल मृत्युदर, महिला साक्षरता, घरेलू सुविधाएं जैसे पीने का पानी और प्रति व्यक्ति खपत. इन मानदंडों में सुधार तभी संभव है, जब कमजोर वर्ग की आय में वृद्घि हो. शहरों में बसे ऊपरी एवं मध्यम वर्गो की आय में पांच गुना वृद्धि हो जाये, तब भी गुजरात ‘पिछड़ा’ ही माना जायेगा, क्योंकि इन सूचकांकों में सुधार नहीं हो रहा है. इससे मोदी को लेकर उत्साह एवं गुजरात के पिछड़ेपन के बीच दिख रहा विरोधाभास स्पष्ट हो जाता है. शहरी ऊपरी वर्ग मस्त है, इसलिए गुजरात का विकास मॉडल ‘लोकप्रिय’ है; परंतु गरीब पस्त है इसलिए गुजरात ‘पिछड़ा’ है.

भाजपा को 2004 की हार का पुनर्विवेचन करना चाहिए. तब भी ऊपरी वर्गों के लिए ‘इंडिया शाइनिंग’ प्रभावी था. एनडीए सरकार ने परमाणु विस्फोट करके देश का आत्मसम्मान बढ़ाया था. देश में नेशनल हाइवे का जाल बिछाने का कार्य किया था. आइटी क्रांति की नींव रखी थी. विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्घि की थी, जिससे 1991 जैसा संकट दुबारा न आये.

लेकिन एनडीए हार गया, क्योंकि वाजपेयी सरकार का ध्यान गरीबों की तरफ नहीं था. 2009 में मनरेगा और किसानों की ऋण माफी ने पुन: एनडीए को हार दिलायी. देश के ऊपरी वर्ग को समझना चाहिए कि आम आदमी को साथ लेकर चलेंगे, तभी विकास टिकाऊ होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें