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नया अध्यादेश हास्यास्पद

विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में व्याख्याताओं की नियुक्ति संबंधित संशोधित अध्यादेश/विधेयक के संबंध में खबरें पढ़ीं. सरकार द्वारा लाया गया नया अध्यादेश न केवल हास्यस्पद है, बल्कि खारिज करने योग्य भी. क्योंकि, यह यूजीसी के नियमों के विरुद्ध है. इसमें 2007 दिसंबर तक पूरा कर चुके पीएचडीधारकों को सीधे साक्षात्कार में शामिल होने की अनुमति है. […]

विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में व्याख्याताओं की नियुक्ति संबंधित संशोधित अध्यादेश/विधेयक के संबंध में खबरें पढ़ीं. सरकार द्वारा लाया गया नया अध्यादेश न केवल हास्यस्पद है, बल्कि खारिज करने योग्य भी. क्योंकि, यह यूजीसी के नियमों के विरुद्ध है.
इसमें 2007 दिसंबर तक पूरा कर चुके पीएचडीधारकों को सीधे साक्षात्कार में शामिल होने की अनुमति है. साथ ही नियमावली में नेट/बेट/सेट को भी उसी के अनुरूप में छूट मिली हुई है. इसके आधार पर ही 2008 में नियुक्ति की गयी थी. हालांकि, 2008 में जेपीएससी द्वारा किये गये एक संशोधन के अनुसार, पीएचडीधारकों के लिए फरवरी, 2007 तक ही छूट दी गयी थी.
यदि पुरानी नियमावली में1993 तक को ही छूट थी, तो उसके बादवाले पीएचडीधारकों को किस आधार पर 2008 में नियुक्ति दी गयी. यह भी विचारणीय प्रश्न है. इस बात को भी 2008 के संदर्भ में सीबीआइ को जांच के क्रम में देखना चाहिए. कृपया माननीय न्यायालय भी इस ओर ध्यान दे.
– संजीव कुमार सिन्हा, धनबाद

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