तहलका यौन उत्पीड़न मामले में फंसे तरुण तेजपाल की मुसीबतें बढ़ने लगी हैं. तेजपाल और उनकी टीम ने जितने पोंगापंथियों, कपटी दक्षिण पंथियों और राग सेकुलरिज्म गानेवालों के रंग अब तक उतारे थे, उन सभी के समर्थक कुलांचे भरते दिख रहे हैं. कभी ना कभी जिसे भी निशाने पर लिया गया था, उसे आज मौका हाथ लगा है.
कई तो इस कदर खार खाये बैठे हैं कि उनके बयानों में पीड़िता की फिक्र कम, तेजपाल और तहलका से खुन्नस ज्यादा दिख रही है. ऐसे अपराध के बाद जिस संवेदनशीलता का परिचय दिया जाना चाहिए था, वह नदारद है जबकि निजी खुन्नस सतह पर हैं.
खैर, तेजपाल ने जो कुछ किया है उसके बाद वह जेल जायें या फिर सड़कों पर घसीटे जायें, मगर इससे तहलका में जी-जान से जुटे बाकी कर्मचारियों की विश्वसनीयता संदिग्ध नहीं हो जाती.
नितिन ठाकुर, मेरठ