सरदार पटेल की मृत्यु के छह दशक बाद यह विवाद उठ रहा है कि वह किसके थे. कांग्रेसी दावा कर रहे हैं कि वे जीवनर्पयत कांग्रेस के सदस्य रहे, इसलिए सरदार साहब पर उनका हक है. लेकिन यह उनकी गलती है. कांग्रेस की किसी भी सभा में पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के चित्र तो रहते हैं, लेकिन सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद या शास्त्री जी के चित्र नहीं.
वे भूल जाते हैं कि भारत का जो नक्शा है, वह सरदार साहब की देन है. देसी रियासतों के भारत में विलय के लिए उन्होंने अथक परिश्रम किया था. इसके लिए उन्होंने साम, दाम, दंड, भेद सबका सहारा लिया. नेहरू जी निजाम के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के विरोध में थे. लेकिन सरदार नहीं माने और उन्होंने पुलिस कार्रवाई की और वे सफल हुए. जूनागढ़ रियासत का मामला भी ऐसा ही जटिल था.
यहां पर भी पटेल सफल रहे. कश्मीर का मामला नेहरू जी के हाथ में था. नतीजा सामने है. जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं तो उन्होंने एक के बाद एक ऐसे कदम उठाये जिनसे जनता उन्हें समाजवादी समङो. उन्होंने प्रिवी पर्स भी खत्म कर दिया. प्रिवी पर्स की व्यवस्था देसी रियासतों के भारत में विलय होने के एवज में सरदार साहब ने की थी. 1971 के चुनाव और बांग्लादेश युद्ध के बाद इंदिरा गांधी ताकतवर होकर उभरीं. लेकिन कांग्रेस धीरे-धीरे चाटुकारों की पार्टी बन गयी. परिवारवाद हावी हो गया. आज कांग्रेस में सिर्फ राजीव गांधी के वंशज ही नेता हैं. बाकी सभी तोता हैं. 2014 का चुनाव सामने है. कांग्रेस की नैया मझधार में है. प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने जब सरदार पटेल की बात की, तब कांग्रेसियों को उनकी याद आयी. अब उनके नाम पर राजनीति हो रही है. लेकिन हकीकत यह है कि सरदार पटेल पूरे भारत के हैं. चक्रपाणि सिंह, हटिया