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कृत्रिम रोशनी के आगे फीका हुआ दीया

दिवाली दीपों का त्योहार है. अंधकार में प्रकाश की जीत का पर्व. आमतौर पर दिवाली के दिन घरों में दीया जला कर अंधकार को दूर भगाने का प्रयास किया जाता है. कुछ साल पहले तक भारत में मिट्टी के दीये जला कर इस त्योहार को मनाया जाता था, लेकिन आज दीपोत्सव का रूप ही बदल […]

दिवाली दीपों का त्योहार है. अंधकार में प्रकाश की जीत का पर्व. आमतौर पर दिवाली के दिन घरों में दीया जला कर अंधकार को दूर भगाने का प्रयास किया जाता है. कुछ साल पहले तक भारत में मिट्टी के दीये जला कर इस त्योहार को मनाया जाता था, लेकिन आज दीपोत्सव का रूप ही बदल गया है.
लोग मिट्टी के दीये जलाने के बजाय बिजली की रोशनी से चकमक होनेवाली रंग-बिरंगी लड़ियों से घर को रोशन करते हैं. आज कृत्रिम रोशनी के आगे दीये की चमक फीकी पड़ गयी है.
देश के ग्रामीण इलाकों को छोड़ दें, तो प्राय: सभी शहरों में मिट्टी के दीये कम ही देखने को मिलते हैं. अब मिट्टी के दीये जलाने की परंपरा क्षीण होती नजर आ रही है. सादगीपूर्ण मनाया जानेवाला यह त्योहार अब दिखावा बनता जा रहा है, जिससे मिट्टी का दीया बनानेवाले कलाकारों की रोजी-रोटी छिनती जा रही है. इस ओर ध्यान दिया जाये़ -चंद्रशेखर कुमार, रांची

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