एक तरफ जहां सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों को पढ़ने एवं विद्यालय आने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु मिड डे मील, छात्रवृत्ति, मुफ्त पुस्तक एवं साइकिल वितरण जैसी कई योजनाएं चलायी जाती हैं, जिससे अभिभावकों में बच्चों को शिक्षा देने की इच्छा जागृत होती है.
लेकिन न जाने क्यों उच्च शिक्षा की तरफ न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार का ध्यान जाता है. जहां एक जिले में बीसियों प्रथामिक एवं माध्यमिक विद्यालय संचालित होते हैं, उसी जिले में एक या दो से अधिक महाविद्यालय नहीं होते हैं.
साथ ही, उन महाविद्यालयों में शिक्षक सहित अन्य सभी शिक्षा संबंधी सुविधाओं का घोर अभाव होता है, जिस कारण राज्य के अधिकांश बच्चे माध्यमिक स्तर की शिक्षा तो पा लेते हैं, लेकिन उनकी उच्च शिक्षा भगवान भरोसे ही रह जाती है.
विकास कुमार, लोहरदगा