10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भारतीय लोकतंत्र, संविधान का दुर्भाग्य

राजनेताओं, उच्च पदों पर बैठे लोगों से संविधान ने जिस कार्यपालिका को देश चलाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक माना, राजनीति ने उस पूरी कार्यपालिका की छवि, साख और विश्वसनीयता खत्म कर दी है. आज पूरे तंत्र, चाहे वह सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सबको लोग संदेह की नजर से देख रहे हैं. देश […]

राजनेताओं, उच्च पदों पर बैठे लोगों से संविधान ने जिस कार्यपालिका को देश चलाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक माना, राजनीति ने उस पूरी कार्यपालिका की छवि, साख और विश्वसनीयता खत्म कर दी है.

आज पूरे तंत्र, चाहे वह सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सबको लोग संदेह की नजर से देख रहे हैं. देश चाहता है कि भ्रष्ट और अपराधी तत्व चुन कर संसद पहुंचें, लेकिन हमारे चुने हुए प्रतिनिधि इसके ठीक उलट सोचते हैं और इसके लिए तर्क भी गढ़ लेते हैं. जब समाज के शिखर स्थान निर्णायक नहीं होंगे तो समाज कैसे बेहतर होगा.

इस देश के सरकारी क्षेत्रों में जो लेटलतीफी, भ्रष्टाचार और काम के प्रति अपसंस्कृति है, उसे सुधारने के लिए शीर्ष से सफाई और अनुशासन चाहिए. पर क्या इस देश में इन प्रसंगों पर कभी चर्चा भी होती है? तब कैसे बनेगा मेरा भारत महान?

गणोश प्रसाद सिंह, देवघर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें