छठी–सातवीं कक्षा से ही हमें पढ़ाया जा रहा है कि भारत का हर वह आम नागरिक, जिसे दोषी करार देते हुए न्यायालय द्वारा सजा मुकर्रर कर दी गयी है, उसे वोट देने का अधिकार नहीं है.
तब ये दागी एवं न्यायालय द्वारा दोषी पाये गये कथित नेताओं को चुनाव लड़ने का अधिकार कैसे हो सकता है? विधानसभा और संसद में देश की जनता के हक, हित और हिफाजत के लिए कानून बनाये जाते हैं, ऐसे में यह समझा जा सकता है कि सांसद और विधायक का पद कितनी जिम्मेवारी भरा होता है. अत: इसके साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता.
वैसे भी जब दोषी एवं भ्रष्टाचारी का दंड माफी लायक है, तो छोटे–मोटे कारणों से सेवामुक्त कर्मचारियों को मानवता के आधार पर सेवा में क्यों न ले लिया जाये, ताकि उन्हें सुधरने का एक मौका मिल सके और उनके बच्चों का जीवन संवर सके.
डीएच साहू, लोहरदगा