।। डॉ भरत झुनझुनवाला ।।
(अर्थशास्त्री)
अमेरिका में वर्तमान में दिख रहा उछाल वास्तव में आनेवाले संकट का द्योतक है. मूल रूप से अमेरिका की प्रतिस्पर्धा करने की शक्ति का ह्रास हो रहा है. स्टिमुलस समाप्त होने के साथ–साथ ब्याज दर में वृद्घि होगी और संकट फिर शुरू हो जायेगा.
अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने स्टिमुलस पैकेज जारी रखने का निर्णय लिया है. 2008 के बाद से केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों को शून्य पर टिका रखा है.
इससे अमेरिकी नागरिकों के लिए ऋण लेकर मकान खरीदना आसान हो गया है. नया मकान बनाने में रोजगार उत्पन्न हो रहे हैं और स्टील तथा सीमेंट की मांग उत्पन्न हो रही है. इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था की विकास दर लगभग 2 प्रतिशत प्रति वर्ष पर बनी हुई है. लेकिन दो समस्याएं हैं. एक यह कि अमेरिका ऋण के बोझ से दबता जा रहा है.
दूसरी यह कि बढ़ते ऋण के बोझ के बावजूद अर्थव्यवस्था गति नहीं पकड़ रही है. केंद्रीय बैंक ने कुछ माह पहले विकास दर का पूर्वानुमान 2.3 प्रतिशत लगाया था. इसे अब घटाकर 2.0 प्रतिशत कर दिया गया है. जाहिर होता है कि अर्थव्यवस्था दबाव में है.
अमेरिका के ब्याज दर न्यून होने के कारण वे अपनी रकम को अमेरिका में निवेश नहीं करना चाहते हैं.
बल्कि शून्यप्राय दर पर ऋण लेकर वे विदेशों में निवेश करके लाभ कमाना चाहते हैं. अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किये गये स्टिमुलस पैकेज का अंतिम लाभ भारत जैसे उन देशों को होता है, जहां निवेशक पूंजी लगाते हैं. केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष बेन बेरनानके ने बीते समय संकेत दिये थे कि स्टिमुलस में कटौती की जा सकती है.
इसका परिणाम होता कि अमेरिका में ब्याज दर में वृद्घि होती. निवेशकों के लिए भारत से पैसा निकाल कर अमेरिका में निवेश करना लाभप्रद हो जाता. इसके चलते ही निवेशकों ने भारत से पूंजी निकाला था और रुपया टूटा था. अब स्टिमुलस के जारी रहने से पुन: निवेशक भारत की ओर रुख कर रहे हैं और रुपया उठने लगा है. अमेरिकी अर्थव्यवस्था में गिरावट आने का अनुमान है. प्रश्न है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में दिख रहा सुधार टिकाऊ होगा या नहीं? मेरा आकलन है, नहीं.
यह सुधार ऋण पर आधारित है. जैसे दुकानदार लोन लेकर आलीशान शोरूम बना ले और उसमें चार सेल्समैन रख दे, तो बेशक रोजगार उत्पन्न होंगे, लेकिन मूल बात तो बिक्री की है. यदि शोरूम से बिक्री–आय होती है तो ऋण की आदायगी हो पायेगी और सेल्समैन के रोजगार टिकाऊ होंगे. बिक्री–आय के अभाव में दुकानदार लोन नहीं भर पायेगा और शीघ्र ही उसका दीवाला निकल जायेगा और सेल्समैन की नौकरी समाप्त हो जायेगी. ऐसी ही स्थिति अमेरिका की है.
दरअसल अमेरिका ने धन का उपयोग चालू खर्चो को पोषित करने के लिए किया न कि निवेश के लिए. रिसर्च, शिक्षा और बुनियादी सेवाओं में निवेश में कटौती हुई है. इसलिए ऋण के उपयोग से नयी आय नहीं पैदा हो रही है. ऋण पर ब्याज चढ़ रहा है और अमेरिका के पुन: संकटग्रस्त होने की संभावना बन रही है. दुर्भाग्यवश निवेशकों द्वारा रोजगार में देखी जा रही वृद्घि को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है और बढ़ते ऋण को नजरंदाज किया जा रहा है. ऋण के बल पर बना रोजगार टिकाऊ नहीं होता.
वर्तमान में रोजगार में जो वृद्घि दिख रही है उसमें भी संदेह हैं. नये रोजगार पार्ट टाइम एवं न्यून वेतन वाले उत्पन्न हो रहे हैं. दूसरा संदेह है कि भारी संख्या में लोग हताश हो चुके हैं और उन्होंने रोजगार ढूंढ़ना ही बंद कर दिया है और इसलिए आंकड़ों में बेरोजगारी कम दिख रही है. वर्तमान उत्साह का दूसरा आधार पूर्वानुमान है.
43 प्रमुख अर्थशास्त्रियों के सर्वे के मुताबिक अगले वर्ष के मध्य में विकास दर तीन प्रतिशत पर पहुंच जायेगी, जो वर्तमान में एक से दो प्रतिशत के बीच मंडरा रही है. यह आकलन भी मुख्यत: बढ़ते रोजगार पर आधारित है.
अमेरिका में वर्तमान में दिख रहा उछाल वास्तव में आनेवाले संकट का द्योतक है. मूल रूप से अमेरिका की प्रतिस्पर्धा करने की शक्ति का ह्रास हो रहा है. स्टिमुलस समाप्त होने के साथ–साथ ब्याज दर में वृद्घि होगी और संकट फिर शुरू हो जायेगा, यद्यपि एक दो वर्ष का समय लग सकता है.
आश्चर्य की बात है कि ऐसे हालात के बावजूद स्टिमुलस जारी रखने के निर्णय से अमेरिका और भारत दोनों के ही शेयर बाजारों में उछाल आया है. यह निवेशकों की अल्पदर्शिता का परिणाम है. उन्हें मात्र यह दिख रहा है कि केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर न्यून रखने से उनके लिए ऋण लेना आसान बना रहेगा और अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर फिलहाल मंदी नहीं आयेगी.
उन्हें यह नहीं दिख रहा है कि भारी स्टिमुलस के बावजूद अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंद पड़ी हुई है. उन्हें यह भी नहीं दिख रहा है कि अमेरिकी उपभोक्ता ऋण से दबते जा रहे हैं. ऋण की आदायगी के लिए उनके पास रोजगार नहीं हैं. मैं बाजार के इस उछाल से सहमत नहीं हूं. अमेरिकी अर्थव्यवस्था अंदर से खोखली होती जा रही है और सुधार कृत्रिम है. जैसे कैंसर के मरीज को पेन किलर दे दिया जाये, तो वह कुछ समय के लिए हंसने बोलने लगता है.