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दुर्घटनाओं का विवेक से निकले उपाय

कानून की नजर में अमीर-गरीब सब बराबर है. भारतीय न्याय व्यवस्था सबको समान दृष्टि से देखती है. हिट एंड रन मामले में सलमान खान को पांच साल की सजा सुना दी गयी.हालांकि, उन्होंने और उनके वकीलों ने मामले को बाधित करने का हर संभव प्रयास जरूर किया होगा. अदालत ने उन्हें आखिरकार दोषी करार दिया […]

कानून की नजर में अमीर-गरीब सब बराबर है. भारतीय न्याय व्यवस्था सबको समान दृष्टि से देखती है. हिट एंड रन मामले में सलमान खान को पांच साल की सजा सुना दी गयी.हालांकि, उन्होंने और उनके वकीलों ने मामले को बाधित करने का हर संभव प्रयास जरूर किया होगा. अदालत ने उन्हें आखिरकार दोषी करार दिया ही. 13 साल बाद फैसला आया और कानून ने पहला कदम बढ़ाया.
अभी ऊपरी अदालतों में सत्र न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले की न्यायिक समीक्षा क्या होती है, ये देखना बाकी है. फिलहाल इस हाई प्रोफाइल मामले में न्याय प्रक्रिया पूरी हुई दिखाई दे रही है. प्रभावित या पीड़ित परिवार के लोग भी संतुष्ट दिखाई दे रहे हैं, लेकिन अभी मामले की सुनवाई हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में होनी बाकी है. यह लंबी कानूनी प्रक्रिया है.
देश के लोगों को 12 जून तक हर हाल में इंतजार करना पड़ेगा. सड़क हादसे में होनेवाली मौत का केस धारा 304 के अंतर्गत दर्ज नहीं किये जाते हैं. सलमान खान के मामले में बहुत ही कठोर धाराओं का प्रयोग किया गया है. उनकी हत्या की कोई मंशा नहीं थी. सलमान की सजा पूरी न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद गवर्नर या राष्ट्रपति को कम करनी चाहिए, क्योंकि सड़क हादसे में हुई मौत गैर-इरादतन थी. न्यायालय से फैसला ऐसा आना चाहिए, जिससे पीड़ित और प्रभावित दोनों परिवारों को न्याय मिले.
वास्तव में देश में दुर्घटना का रोग लाइलाज हो गया है और किसी को इसकी चिंता नहीं है. सरकार को सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए. 50 प्रतिशत दुघर्टनाएं शराब पीकर गाड़ी चलाने के वजह से होती है. सभी सरकारी कामों में अदालत ही डंडा नहीं चला सकती. सरकार विवेक से उपाय निकाले.
पूनम कुमारी, मधुपुर

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