झारखंड समेत पूरे देश में किसी भी मुद्दे अथवा किसी मांग को लेकर अक्सर बंद का आह्वान कर दिया जाता है. इसके चलते आम लोगों की परेशानी बढ़ जाती है. इसके साथ ही बंदी का प्रतिकूल प्रभाव व्यापार पर भी पड़ता है और एक दिन की बंदी में करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है. खास कर छोटे व्यापारियों को बहुत परेशानी होती है, क्योंकि उनका पूरा परिवार ही रोजाना के कारोबार पर चलता है.
यह समझ में नहीं आता है कि आखिर विरोध जताने के लिए राजनीतिक दल अथवा संगठनों के लोग बंद का आह्वान करते ही क्यों हैं? क्या बंदी के बिना विरोध नहीं जताया जा सकता? शांतिपूर्वक भी तो विरोध जताया जा सकता है. सांकेतिक विरोध भी तो हो सकता है. राज्य में अक्सर होनेवाली राजनीतिक बंदी पर रोक लगनी चाहिए. राजनेता और सरकार ध्यान दें.
विजय प्रसाद, रांची