इस वर्ग को न सिर्फ इसलिए आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा दिये जाने की जरूरत है कि यह सरकार की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी है, बल्कि ऐसा इसलिए भी करना आवश्यक है क्योंकि यह वर्ग देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. सकल घरेलू उत्पादन का अधिकांश हिस्सा असंगठित क्षेत्र से ही आता है. गरीब लोगों को बचत, बीमा और पेंशन योजनाओं से जोड़ने से अर्थव्यवस्था समावेशी और स्वस्थ होगी. मोदी ने उचित ही कहा कि गरीबों को सहारे की नहीं, शक्ति की जरूरत है. अल्प आय वर्ग के लिए चल रही जन-धन योजना और छोटे कारोबारियों को कर्ज देने के लिए मुद्रा बैंक जैसी पहलों के साथ इन तीन नयी योजनाओं से देश की बड़ी आबादी को सामाजिक सुरक्षा मिल सकेगी. ये योजनाएं 101 बैंकों के जरिये उपलब्ध हैं. इन योजनाओं के प्रयोगिक चरण में पांच करोड़ से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया है. जन-धन योजना में 15 करोड़ से अधिक खाते खुल चुके हैं और 15,800 करोड़ जमा हुए हैं.
आंकड़ों से स्पष्ट है कि अगर सरकार उचित पहल करे, तो लोग उससे जरूर जुड़ते हैं. उद्योग जगत व अर्थशास्त्रियों ने भी इन योजनाओं का स्वागत किया है. लेकिन सरकार और संबंधित संस्थाओं को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अनेक योजनाएं उचित प्रबंधन के अभाव और कार्यान्वयन में लापरवाही के कारण अपेक्षति सफलता हासिल नहीं कर पाती हैं. प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि अगर विकास का लाभ निचले तबके को नहीं मिलता है, तो ऐसा विकास बेमतलब है. उम्मीद है कि केंद्र और राज्य सरकारें तथा वित्तीय संस्थाएं इन योजनाओं को हर गरीब परिवार और व्यक्ति तक लेकर जायेंगी.