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सर्वसम्मति से निकले संकट का हल

सीरिया में जारी गृहयुद्ध अप्रैल, 2011 में जब मध्य एशियाई देश सीरिया की जनता सत्ता परिवर्तन की मांग लेकर सड़कों पर उतर आयी थी, तब इसे ‘अरब क्रांति’ से जोड़ा गया था. लेकिन, क्रांति की यह लहर देखते ही देखते एक रक्त–रंजित संघर्ष में तब्दील हो गयी. बीते दो वर्षो से सीरिया की बशर–अल–असद सरकार […]

सीरिया में जारी गृहयुद्ध

प्रैल, 2011 में जब मध्य एशियाई देश सीरिया की जनता सत्ता परिवर्तन की मांग लेकर सड़कों पर उतर आयी थी, तब इसे अरब क्रांति से जोड़ा गया था. लेकिन, क्रांति की यह लहर देखते ही देखते एक रक्तरंजित संघर्ष में तब्दील हो गयी.

बीते दो वर्षो से सीरिया की बशरअलअसद सरकार बल प्रयोग के सहारे जनता की आवाज को दबाने पर आमादा है, तो जनता की क्रांति भी विदेशी मदद से चलाये जा रहे सशस्त्र विद्रोह का रूप ले चुकी है. आज सीरिया अंतरराष्ट्रीय राजनीति के क्रीड़ास्थल में तब्दील होकर गृह युद्ध की आग में झुलस रहा है. गृहयुद्ध, किसी देश के दुर्भाग्य का दूसरा नाम है.

सीरिया में जारी गृहयुद्ध में बड़े पैमाने पर लोगों की जानें गयी हैं. लाखों परिवार अपने ही देश में शरणार्थी बनने पर मजबूर हैं. पिछले बुधवार को खबर आयी कि सीरिया में असद शासन के द्वारा विद्रोहियों पर रासायनिक हथियार का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें सैकड़ों जानें गयी हैं. असद सरकार इन आरोपों से इनकार कर रही है और इसे विद्रोहियों की कारस्तानी बता रही है. अंतरराष्ट्रीय दबाव को देखते हुए रविवार को सीरिया सरकार ने संयुक्त राष्ट्र को इस रासायनिक हमले की जांच करने की अनुमति दे दी.

विश्‍लेषकों का कहना है कि अमेरिका और उसके यूरोपीय साथी रासायनिक हमले के आरोप का इस्तेमाल सीरिया में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप करने के बहाने के तौर पर कर सकते हैं. अमेरिका पहले भी कहता रहा है कि असद शासन के पास भारी मात्र में रासायनिक हथियार हैं और वहां जारी गृहयुद्ध को देखते हुए खतरा है कि ये हथियार अलकायदा और उसके बंधु संगठनों के पास पहुंच जायें.

यह सिर्फ संयोग नहीं है कि अमेरिका की यह चिंता करीब एक दशक पहले इराक पर हमला करते वक्त सद्दाम शासन के पास जनसंहार के शस्त्र होने की दलील की याद दिला रही है. सीरिया में रासायनिक हथियार के इस्तेमाल की खबर निश्चित ही चिंता की बड़ी वजह है, पर इन आरोपों की स्वतंत्र निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.

यह जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय मिल कर सीरिया के संकट का सर्वसम्मति से कोई हल निकाले, जिसका मकसद वहां के नागरिकों की दुश्वारियों को कम करना और उन्हें गरिमापूर्ण, सुरक्षित जीवन स्थिति मुहैया कराना हो, कि अमेरिका की आक्रामक विदेश नीति को विस्तार देना.

इस अमेरिकी नीति का खामियाजा आज इराक और अफगानिस्तान के आम नागरिक भुगत रहे हैं. इन सबके बीच सबसे पहले जरूरी यह है कि रासायनिक हमले के आरोपों के सच को सामने लाया जाये और भय के साये में जी रही सीरियाई जनता की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया जाये.

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