।।बदला लेने के लिए डकैती।।
झारखंड की राजधानी रांची में एक युवक ने तंग आकर दूसरे के घर में डकैती करवा दी. इसके लिए उसने अपराधियों का सहारा लिया. चिंता की बात यह है कि वह युवक सीएस (कंपनी सेक्रेटरी) की पढ़ाई कर रहा था. किसी मामले में उसके परिवार के कई सदस्य जेल में थे और उसे पैसे की जरूरत थी. उसने ब्याज पर कर्ज लिया. कर्ज नहीं चुका पाया तो कर्ज देनेवाला पैसा मांगने लगा, उसकी गाड़ी ले ली, उसे तंग करने लगा. दुश्मनी का मूल कारण यही था.
यह एक उदाहरण है कि कैसे समाज भटक रहा है, युवा भटक रहे हैं. दरअसल सुख-सुविधा ने लोगों की दुनिया बदल दी है. आलीशान मकान, गाड़ी की चाहत युवाओं में बढ़ी है. अगर किसी के पास से ये सुविधाएं कोई छीन लेता है या छीनने का प्रयास करता है, तो इसे कोई बरदाश्त नहीं कर पाता है. रांची की घटना भी वैसी ही है. अगर किसी को जरूरत होगी, तो कर्ज लेगा ही. जो कर्ज देगा, वह मांगेगा ही. नहीं लौटाने पर कर्ज देनेवाला नैतिक और अनैतिक, दोनों तरीके अपनाता है. यहीं से अपराध का जन्म होता है. यह सब इसलिए हो रहा है, क्योंकि लोगों में धैर्य नहीं है, ईमानदारी नहीं है, आपसी विश्वास की कमी है, सच को स्वीकार करने की क्षमता खत्म हो गयी है. ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि कहीं न कहीं लालन-पालन में गड़बड़ी है, संस्कार की कमी है. माता-पिता बच्चों को समय नहीं दे पाते, संस्कार नहीं दे पाते.
अब इसी युवक को ले लें. जो युवक सीएस बननेवाला था, अब उसका स्थान जेल में होगा. अपराधियों के साथ सांठ-गांठ कर डकैती करवाने की बात की अगर पुष्टि हो जाती है, तो उसका कैरियर खत्म हो जायेगा. ऐसी घटनाओं से अन्य युवकों, छात्रों और माता-पिता को भी सीख लेने की जरूरत है. गलत रास्ते का चयन अगर किया जाता है, तो परिणाम भी गलत ही होगा. अगर कर्ज लौटाने के लिए कोई दबाव दे, तो अपराधियों की सहायता लेना इसका हल नहीं है. कानूनी रास्ते से भी कर्ज चुकाया जा सकता है. पर इसके लिए धैर्य चाहिए.
कर्ज वसूलने के लिए भी वैध तरीके हैं. कानून का सहारा लेना चाहिए. ऐसी घटनाएं झारखंड में पहले भी घटती रही हैं और अपराध बढ़ने का बड़ा कारण भी पैसा ही रहा है. कोई किसी की जमीन हड़प लेता है, कोई किसी का पैसा वापस नहीं करता. इसलिए बेहतर है कि कर्ज तभी लें, जब चुकाने की क्षमता हो. जिससे कर्ज लें भी तो आपसी विश्वास ऐसा होना चाहिए कि मामला थाना-पुलिस या अपराधियों का साथ लेने तक पहुंचे ही नहीं.