।। विवेक शुक्ला ।।
(वरिष्ठ पत्रकार)
आज यानी 31 जुलाई को इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने का आखिरी दिन है. आपने शायद इसे जमा करा दिया होगा. लेकिन सब आपकी तरह तो नहीं हैं. यकीन मानिये कि देश में अब भी सिर्फ 2.89 फीसदी लोग ही इनकम टैक्स अदा करते हैं. इससे पता चलता है कि टैक्स देने को लेकर भारतीय कितने गंभीर हैं. आपने डेढ़–दो साल पहले ग्रीस की अर्थव्यवस्था के दिवालिया होने के बारे में पढ़ा–सुना होगा. वहां ऐसे सूरतेहाल इसलिए बने, क्योंकि टैक्स चोरों की तादाद बढ़ गयी थी. टैक्स चोरों में ज्यादातर धनी लोग थे. टैक्स चोरी के कारण ही इटली की अर्थव्यवस्था खोखली हो गयी. हमारे यहां भी टैक्स चोर बढ़े, तो हम उन्हीं देशों के नक्शे–कदम पर चलने लगेंगे.
बीते साल दिसंबर में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बताया था कि भारत में 2.89 फीसदी लोग इनकम टैक्स जमा करते हैं. उधर, अमेरिका में करीब 45 फीसदी लोग इनकम टैक्स देते हैं. भारत की आबादी अमेरिका से काफी अधिक है, लेकिन टैक्स देनेवाले लोग अमेरिका में ज्यादा हैं. वैसे यह सिर्फ टैक्स चोरी का मसला नहीं है. इसके पीछे कई वजहें हैं. मसलन, हमारे यहां बड़ी आबादी इतना नहीं कमा पाती कि उसे टैक्स देना पड़े.
देश का एक बड़ा हिस्सा, खास कर ग्रामीण क्षेत्र, विकास से कोसों दूर है. वैसे तो यहां ज्यादातर लोग मुश्किल से जीने लायक कमा पाते हैं. पर जो लोग टैक्स देने की सीमा से अधिक कमा रहे हैं, वे भी टैक्स नहीं देते और कोई उनसे टैक्स मांगने भी नहीं जाता. इस तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि आर्थिक उदारीकरण के बाद शहरों में नौकरी व व्यापार से मोटी कमाई करनेवालों की तादाद तेजी से बढ़ी है.
हर शहर में बन रहे लग्जरी फ्लैट्स और सड़कों पर बढ़तीं लग्जरी गाड़ियां इसकी गवाह हैं. कई राज्यों में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि भ्रष्ट अरबपति सरकारी अफसरों और करोड़पति क्लर्को, बाबुओं, चपरासियों में एक–दूसरे को पछाड़ने की होड़–सी चल रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ मध्य प्रदेश में आयकर विभाग ने पिछले तीन सालों में एक दर्जन से ज्यादा अफसरों के यहां छापा मार कर 700 करोड़ रुपये से ज्यादा की अघोषित संपत्ति का खुलासा किया है.
एक प्रमुख अर्थशास्त्री का कहना है कि अगर आप धनी लोगों की आय का पता नहीं लगा पा रहे हैं, तो बेहतर होगा कि आप इनके खर्चो पर नजर रखें. हालांकि इस संबंध में वित्त मंत्रलय ने गत फरवरी में कहा था कि वह उन करीब 12 लाख लोगों को टैक्स दायरे में लाने की कोशिश कर रहा है, जो क्रेडिट कार्ड से मोटा भुगतान करते हैं, महंगी अचल संपत्ति खरीदते–बेचते हैं, मोटी रकम निवेश करते हैं, पर टैक्स नहीं देते.
उधर, आयकर मामलों के विशेषज्ञ कहते हैं कि आयकर देने में सिर्फ नौकरीपेशा लोग ईमानदारी दिखाते हैं, क्योंकि उनकी कंपनियां ही उनके लिए यह काम करने लगी हैं. देश में कृषि क्षेत्र टैक्स दायरे से बाहर है और किसानों की बदहाली पर बात करना ‘पॉलिटिकली करेक्ट’ माना जाता है, लेकिन हकीकत यह है कि सभी किसान दीन–हीन नहीं हैं. तो धनी किसानों से टैक्स क्यों नहीं, इस मसले पर यदि स्वस्थ बहस हो जाये तो क्या बुराई है?
भारत में हर साल टैक्स चोरी के कारण कितने राजस्व का नुकसान होता है? जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली से जुड़े अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार कहते हैं, टैक्स चोरी से भारत को सालाना करीब 1.9 खरब डॉलर के राजस्व का नुकसान होता है. इस राशि से कितना विकास हो सकता है, यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है. अफसोस होता है जब पढ़े–लिखे लोग भी यह कहते मिल जाते हैं कि मोटा कमानेवाले नेता टैक्स नहीं देते, तो हम क्यों? लचर तर्क है यह.
आयकर विभाग ने हाल में कर अदा न करनेवाले 35 हजार लोगों को पत्र भेज कर अपनी सही आय का खुलासा करने और बकाया करों का भुगतान करने को कहा है. विभाग ने टैक्स न अदा करनेवाले करीब 12 लाख लोगों की पहचान भी की है. ऐसी कोशिशों के अच्छे नतीजे सामने आ रहे हैं. पर इन कोशिशों के बीच आयकर विभाग को अपनी छवि इस तरह की बनानी चाहिए कि उसके नोटिस से करदाता घबराएं नहीं.
विभाग में फैले भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए भी ईमानदार कोशिशें जरूरी हैं. दूसरी ओर अगर आप आयकर दे रहे हैं तो विभाग के किसी नोटिस से घबराने की जरूरत नहीं है. वहां से जो भी जानकारी मांगी जाये, उसे समयसीमा के अंदर दे दें. हां, जो लोग आयकर नहीं दे रहे हैं, उन्हें जरा संभल जाना चाहिए. आयकर चोरी से देश का विकास तो प्रभावित होता ही है, चोरी करनेवाले कानून के फंदे में भी फंस सकते हैं.