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तेजाब से झुलस रही जिंदगी
कुछ दिन पहले अखबारों में एक तेजाब पीड़िता लड़की की दिल दहला देनेवाली खबर छपी थी. खबर उसके अतीत, वर्तमान और भविष्य को बयान कर रही थी. उसका सपना एक खिलाड़ी बनने का था, लेकिन तेजाब ने उन सपनों को झुलसा दिया. उसका कसूर सिर्फ इतना था कि उसने मनचलों का विरोध किया था. बाजारों […]
कुछ दिन पहले अखबारों में एक तेजाब पीड़िता लड़की की दिल दहला देनेवाली खबर छपी थी. खबर उसके अतीत, वर्तमान और भविष्य को बयान कर रही थी. उसका सपना एक खिलाड़ी बनने का था, लेकिन तेजाब ने उन सपनों को झुलसा दिया. उसका कसूर सिर्फ इतना था कि उसने मनचलों का विरोध किया था.
बाजारों में तेजाब कम कीमत पर मिल जाता है, लेकिन जब यह किसी व्यक्ति के शरीर पर पड़ता है, तो उसकी जिंदगी तबाह कर देता है. जीवन बच गया, तो आदमी की खुशकिस्मती, वरना अधिक मात्र में पड़ने पर यह जिंदगी को भी लील जाता है. जिसका जीवन बच जाता है, उसे किस पीड़ा का सहन करना पड़ता है, इसे बयान नहीं किया जा सकता. यह सोच कर लोगों के शरीर में सिहरन होती है कि भला उन लड़कियों ने मनचलों का क्या बिगाड़ा था कि उसके चहरे और शरीर पर तेजाब फेंक कर पूरी जिंदगी ही तबाह कर दी गयी.
किसी को सबक सिखाने या उससे बदला लेने का मतलब यह नहीं होता कि उसकी पूरी जिंदगी को ही तबाह कर दिया जाये. हर व्यक्ति और खास कर किसी लड़की के लिए उसका चेहरा अनमोल होता है. मनचलों और उसके तथाकथित आशिकों की इस दरिंदगी की वजह से न केवल उसकी जिंदगी तबाह होती है, बल्कि वह जब तक जिंदा रहती है, तिल-तिल कर मरती ही रहती है.
स्थिति यह पैदा हो जाती है कि वह जब-जब आईने के सामने अपना चेहरा देखती है, तो वह जिंदा रह कर भी मर जाती है. उसकी पीड़ा बार-बार हरी होती रहती है और वह एक पल जीती है, तो दूसरे पल अतीत और भविष्य को सोच कर मर जाती है. देश में सरकार चलानेवाले नेता और प्रशासनिक अधिकारी इस पर गंभीरता विचार करें.
चंदा साहू, देवघर
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