सारण में मिड–डे मील से 23 बच्चों की हुई मृत्यु ने सबको झकझोर कर रख दिया है. इस हृदयविदारक घटना ने न सिर्फ उन मासूमों के परिजनों के हृदय को रौंदा है, बल्कि इसने एक चेतावनी भी दे दी है कि जब तक सरकारी स्तर पर योजनाओं के परिचालन में समुचित नियंत्रण स्थापित नहीं होगा और हम अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार नहीं बनेंगे, तब तक इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति होती रहेगी. वास्तविकता और परिणामों की परवाह किये बगैर अपने यहां की सरकारें सिर्फ योजनाओं पर पैसा खर्च करना और राजनीति करना जानती हैं.
मेरा मानना है कि ये सरकारें राजनीति के चूहे बिल्ली के खेल में जितना मन लगाती हैं, उसका सिर्फ बीस प्रतिशत ध्यान भी योजनाओं के सफल संचालन में लगा दें, तो सारण जैसा हादसा कभी होगा ही नहीं. लोकतंत्र में विपक्ष का तो काम ही होता है सरकार की कमियों को ढूंढ़ कर उनका सुधार कराना. वस्तुत: यह प्रक्रि या शासन का सुचारु संचालन और उस पर नियंत्रण सुनिश्चित करती है. इस घटना पर राजनीति न कर भविष्य के लिए सीख लेने की जरूरत है.
।। कुमार आशुतोष रंजन ।।
(ई–मेल से)