।। दक्षा वैदकर ।।
(प्रभात खबर, पटना)
पटना में इन दिनों लोग दो चीजों से बेहद परेशान हैं. बारिश न होने से और बार–बार बिजली जाने से. मैं रोज सोचती हूं कि ऑफिस से घर पहुंच कर खाना खाना है और आराम से सो जाना है, लेकिन इस कमबख्त बिजली को मेरी खुशी कहां बरदाश्त होती है. नींद आना शुरू ही होती है कि बिजली ‘बाय–बाय’ कह देती है. रविवार रात को भी उसने ऐसा ही किया.
मैंने भी गुस्से में सोचा, ‘चलो, आज तुम भी मेरे सब्र की सीमा देख लो. कितनी भी गरमी लगे, न बिस्तर छोड़ूंगी, न ही छत पर टहलने जाऊंगी!’ पूरी रात पंखे को देखते, करवट बदलते बीत गयी. सुबह के आठ बज गये. ऑफिस भी जाना था, सो बिस्तर से उठना ही पड़ा. मैंने बिजली रानी से कहा, ‘अब खुश हो जाओ. जीत गयी हो तुम.’ वह हंसी या यूं कहें कि तभी बिजली आ गयी. पंखा तेजी से घूमने लगा. सोचा कुछ देर सो लूं, पर घड़ी की सुइयां इसकी इजाजत नहीं दे रही थीं.
मुझे उस वक्त अपनी हालत मिल्खा सिंह जैसी लग रही थी. जो दौड़ लगाता था और पसीने से भीगी शर्ट को बाल्टी में निचोड़ता था. इस तरह वह पूरी बाल्टी पसीने से भर देता था. मेरे टी–शर्ट की हालत भी कुछ ऐसी ही थी. खैर मैंने बाल्टी में पसीना तो नहीं निचोड़ा, लेकिन पानी भर कर स्नान जरूर कर लिया. ऑफिस के रास्ते में सोच रही थी कि अगर बारिश हो जाती, तो बिजली की मजाल जो मुझे इस तरह तंग कर पाती. मौसम भीगा–सा होता, तो बिजली का जाना भी न अखरता.
मैंने सोचा कि आखिर बारिश को भला हम पटनावालों से दुश्मनी क्या है? तब बचपन में सुनी बात याद आ गयी, जहां पाप बढ़ जाता है, वहां सूखा पड़ता है. बारिश रूठ जाती है. मैंने लिस्ट बनानी शुरू की कि आखिर कितने पापी यहां होंगे, जो बारिश इतनी दूर चली गयी. तब बोध गया में धमाके करनेवाले, मिड–डे मील में बच्चों को जहर देनेवाले, बच्चियों के साथ बलात्कार करनेवाले दरिंदों का ख्याल जेहन में उभरने लगा.
उन सरकारी बाबुओं के चेहरे भी सामने आये, जो मामूली कामों के लिए गरीबों को निचोड़ लेते हैं. उनका ध्यान भी आया, जो अपनी पत्नी व बच्चों को जहर खिला कर मार देते हैं, माता–पिता को तब तक मारते है, जब तक उनकी जान न निकल जाये, लड़कियों के मुंह पर तेजाब फेंक देते हैं, क्योंकि उन्होंने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया. मेरी लिस्ट बढ़ती ही चली गयी.
मुझे बरखा रानी के पटना न आने का कारण थोड़ा–थोड़ा समझ में आने लगा. मैंने आसमान की तरफ देखा और उनसे गुजारिश की, ‘आपको पापियों से परेशानी है न? आप उन्हें तड़पाना चाहती हो न? तो क्यों न आप हमारे लिए बारिश कर दो और उन पापियों के ऊपर बिजली गिरा कर उन्हें चुन–चुन कर खत्म कर दो. इससे आपका काम भी हो जायेगा और हमारा भी.’