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सराहनीय है मोदी की संवादधर्मिता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक शानदार वक्ता हैं और जनता के साथ संवाद स्थापित करने की कला जानते हैं. इस बात से उनके धुर-विरोधी भी इनकार नहीं कर सकते. अब पिछले महीने से ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिये जनता से सीधे संवाद की जो नयी परंपरा का सूत्रपात उन्होंने किया है, वह देश के हाल […]

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक शानदार वक्ता हैं और जनता के साथ संवाद स्थापित करने की कला जानते हैं. इस बात से उनके धुर-विरोधी भी इनकार नहीं कर सकते. अब पिछले महीने से ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिये जनता से सीधे संवाद की जो नयी परंपरा का सूत्रपात उन्होंने किया है, वह देश के हाल के वर्षो के राजनीतिक परिदृश्य की विशिष्ट परिघटना है. भाषण और सोशल मीडिया के बाद इस प्रक्रिया में रेडियो को जोड़ कर मोदी ने इसे बड़ा विस्तार दिया है.

यह महज सरकार की बात को जनता तक पहुंचाने तक सीमित नहीं है, बल्कि सरकार और जनता के बीच दूरी को पाटने का प्रभावी प्रयास भी है. पिछले महीने उन्होंने लोगों से इंटरनेट के माध्यम से अपनी बात उन तक पहुंचाने का आग्रह किया था. इस बार संवाद-प्रक्रिया को और अधिक दोतरफा बनाते हुए चिट्ठी भेजने का पता भी दिया है. लोकसभा चुनाव में जनता ने जो भरोसा मोदी के नेतृत्व में दिखाया था, वह भरोसा इन पहलों से मजबूत हो रहा है.

पिछली सरकार और जनता के बीच में विश्वास का संकट इस कदर गहरा हो गया था कि सत्ता पक्ष द्वारा कही गयी सही बात पर भी लोग कान धरने के लिए तैयार नहीं थे, जबकि विपक्ष की हर बात उन्हें भाने लगी थी. अब साख का संकट विपक्ष के साथ है. सरकार के गलत कदमों की आलोचना विपक्ष का लोकतांत्रिक अधिकार भी है और जिम्मेवारी भी, लेकिन कोई भी आलोचना ठोस आंकड़ों और तर्क की बुनियाद पर होनी चाहिए.

साथ ही विपक्ष को रचनात्मक भूमिका निभाते हुए सरकार के सही कदमों का स्वागत भी करना चाहिए. मोदी सरकार ने आरोप-प्रत्यारोप के चुनावी दौर को पीछे छोड़ते हुए राजनीतिक बदले की भावना से काम करने का अब तक कोई संकेत नहीं दिया है. उनके रुख को देख कर जनता को लगता है कि सरकार अपने वादों को पूरा करने के प्रति गंभीर है.

‘मन की बात’ करते हुए मोदी ने काले धन को वापस लाने के अपने वादे को दृढ़ता से दोहराया. साथ ही यह भी माना है कि उनकी या पूर्ववर्ती सरकार के पास काले धन के बारे में पुख्ता आंकड़े नहीं हैं. सफाई, सेहत, साङोदारी जैसे मूल्यों के साथ ऐसी साफगोई संवाद को और सहज बनाती है. उम्मीद है कि उनके द्वारा शुरू की गयी इस प्रक्रिया को जनता और आगे बढ़ायेगी.

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