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ऊंचा देखोगे, तभी ऊंची होगी नाक

श्रीराम चाचा मिल गये. बड़े प्रसन्न थे. उनकी नाम थोड़ी ऊंची दिख रही थी. सो, मैंने छूटते ही पूछ लिया- ‘‘चाचा नाक की प्लास्टिक सजर्री करा ली है क्या? बड़ी जंच रही है.’’ वे छूटते ही बोले, ‘‘प्लास्टिक सजर्री नहीं, यह तो मंगल मिशन की सफलता का कमाल है कि मेरी नाक ऊंची हुई जाती […]

श्रीराम चाचा मिल गये. बड़े प्रसन्न थे. उनकी नाम थोड़ी ऊंची दिख रही थी. सो, मैंने छूटते ही पूछ लिया- ‘‘चाचा नाक की प्लास्टिक सजर्री करा ली है क्या? बड़ी जंच रही है.’’ वे छूटते ही बोले, ‘‘प्लास्टिक सजर्री नहीं, यह तो मंगल मिशन की सफलता का कमाल है कि मेरी नाक ऊंची हुई जाती है. देखा नहीं, कैसे पहली ही छलांग में हमने मंगल को छू लिया!’’ मेरे भीतर का आलोचक जाग उठा, ‘‘वो तो ठीक है, पर मंगल पर जाने का फायदा क्या?’’ चाचा बोले, ‘‘तत्काल फायदा तो यही है कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में हमारी नाक ऊंची हो गयी है. केवल अमेरिका, रूस, यूरोप ही अपनी नाक ऊंची कर क्यों फिरते रहें!’’ मैंने कहा, ‘‘अगर हम पहले भूख, गरीबी, बीमारी, अशिक्षा वगैरह दूर करने के लिए काम करते, तो क्या नाक नीची हो जाती?’’ ‘‘भतीजे, तुम रहे वही के वही. जमीन नहीं, आसमान छूने से नाक ऊंची होती है.’’- फिर वे थोड़ा आजिज आकर बोले, ‘‘देखो, इस समय सबकी नाक ऊंची है.

यह राष्ट्रवाद से जुड़ा मामला है. इसमें मीनमेख निकाल कर देशी की ऊंची नाक नाहक मत काटो.’’ मैंने चाचा के सामने हथियार डाल दिये, पर इतना जरूर पूछ लिया, ‘‘तो क्या प्रधानमंत्री जी अभी अमेरिका अपनी ऊंची हुई नाक दिखाने गये हैं?’’ चाचा बोले, ‘‘बेशक. यूएन की महासभा में जब उन्होंने हिंदी में बोला, तो पूरी दुनिया उनकी यानी हमारी ऊंची नाक देख रही थी.’’

‘‘यूएन में तो अटल जी ने भी हिंदी में तकरीर की थी, क्या हुआ इससे? तबसे लेकर अब तक मुंबई से लेकर झुमरीतिलैया तक अमेरिकन इंगलिश कोचिंग सेंटर देश में लहलहा रहे हैं.’’- मेरी इस बात पर चाचा ने दिशा बदली, ‘‘मोदी जी ओबामा पर एहसान करने गये हैं. अमेरिकी कंपनियों के सामने इन दिनों दाल-रोटी या कहो कि शराब-कबाब की किल्लत है, मोदी जी उन्हें उबारेंगे. न्योता देंगे कि भारत आइए और ‘मेक इन इंडिया’ करके ठाठ से कमाइए-खाइए, बस हमारे लोगों को भी कुछ टुकड़े डाल दीजिएगा. कहीं कोई बाधा नहीं आयेगी. श्रम कानून, भूमि कानून, पर्यावरण कानून जो कहिएगा सब बदल दिया जायेगा. वैसे भी हमें मैन्यूफैक्चरिंग जैसे तुच्छ कामों में अपनी मेहनत और दिमाग नहीं लगाना चाहिए. यह काम तो एफडीआइ से भी हो सकता है.

उन्हीं को बनाने दो कच्छा-बनियान, कील-कांटा, लोहा-लंगड़. हमें तो आसमान की ओर देखना है. यूपीए सरकार ने मंगल मिशन भेजा था, तो मोदी जी को सूर्य मिशन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. अमेरिका से लौटने के बाद प्रधानमंत्री जी को किसी जाने-माने ज्योतिष से सलाह लेकर यह प्रोजेक्ट जल्द से जल्द शुरू करना चाहिए. बाबा रामदेव भी इसमें मदद कर सकते हैं. उनके स्वेदशी कारखाने में वेदों में बताये मंत्रों के अनुसार सूर्य-यान तैयार किया जा सकता है. हमें यकीन है कि मोदी जी एक बार फिर नाक ऊंची करने का मौका जरूर देंगे.’’

जावेद इस्लाम

प्रभात खबर, रांची

javedislam361@gmail.com

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