संसद की कार्यवाही को ठप कर उसका समय बर्बाद किया जाता है, जिससे आम लोगों का अहित होता है. समय के साथ पैसों की बर्बादी होती है और जनता की उपयोगी कई बातें रह जाती हैं. सांसदों को यह समझना चाहिए कि यह देश सिर्फ एक विशेष परिवार का नहीं है. बल्कि यह देश उन सवा सौ करोड़ देशवासियों का है, जिन्होंने अपना सेवक चुनकर उन सांसदों को संसद भवन तक पहुंचाया है.
चुनाव के वक़्त सभी सांसद उम्मीदवार जनता के सेवक होने का दिखावा करते हैं और जीतने के बाद अपनी पार्टी प्रमुखों और उनके परिवार के सदस्यों के कार्यों में ही व्यस्त रह जाते हैं. संसद में विरोध करना बेसक विपक्ष का काम है, लेकिन जनता के लिए कुछ गलत हो तब विरोध करना चाहिए. आम लोगों के हित में विरोधी दलों को हमेशा सजग रहना चाहिए.
शैलेश रंजन, डुमरा (सीतामढ़ी)