अभिनेत्री जोहरा सहगल के साथ ही आधुनिक भारतीय सांस्कृतिक इतिहास का एक सुनहरा अध्याय खत्म हो गया. उनकी दीर्घजीविता हमारे लिए सौभाग्य का विषय थी, क्योंकि वह भारतीय कला-संस्कृति के एक बड़े रचनात्मक और ऊर्जावान दौर की जीवंत साक्षी थीं.
अपने जमाने के मशहूर उदय शंकर के बैले से शुरू हुआ उनका सफर, संजय लीला भंसाली और बाल्की जैसे आज के निर्देशकों की फिल्मों में काम करने तक चला. उदय शंकर के बैले ट्रूप के साथ दुनिया भर में घूम कर उन्होंने नृत्य-नाट्य प्रदर्शन किये और दर्शकों की सराहना बटोरी. टीवी सीरियल और फिल्मों में भी उन्होंने अपने अभिनय का लोहा मनवाया और कलाकारों, दर्शकों की अनेक पीढ़ियों से लगातार जीवंत संवाद बनाये रखा. वह हर वक्त जिंदादिली की मिसाल बनी रहीं. जोहरा सहगल की कमी हमेशा महसूस होगी.
अभिमन्यु पांडेय, हीरापुर, धनबाद