11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बेटे की तरह बेटियों को भी दें समान अवसर

शादी-विवाह एक सामाजिक परंपरा है, जिसे हमलोग अच्छे ढंग से निभाने की कोशिश करते हैं. लेकिन, वर्तमान समय में घट रहीं कुछ घटनाओं के कारण लाग अपनी बेटियों का बाल विवाह करने को मजबूर होते हैं. हालांकि बाल विवाह एक अपराध के तौर पर ही देखा जाये तो उचित होगा. चूंकि जिन बालिकाओं की शादी […]

शादी-विवाह एक सामाजिक परंपरा है, जिसे हमलोग अच्छे ढंग से निभाने की कोशिश करते हैं. लेकिन, वर्तमान समय में घट रहीं कुछ घटनाओं के कारण लाग अपनी बेटियों का बाल विवाह करने को मजबूर होते हैं.
हालांकि बाल विवाह एक अपराध के तौर पर ही देखा जाये तो उचित होगा. चूंकि जिन बालिकाओं की शादी होती है, उनकी उस वक्त पढ़ने और लिखने उम्र होती है.
हालांकि इसके लिए जिम्मेदार हम खुद हैं, जो अपने ही समाज को दूषित कर रहे हैं. सर्वप्रथम तो बेटे व बेटियों के भेद को मिटाना होगा. पढ़ने से लेकर खेलने तक दोनों को समान आजादी देनी होगी. अगर बेटे पढ़-लिख कर मां-बाप का मान बढ़ाते हैं, तो बेटियां भी पीछे नहीं है. समान मौका मिलने वाली बेटियां भी बड़े-बड़े पदों पर आसीन हैं.
आर्या पांडे, बगहा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें