यह कितने दु:ख की बात है कि जिस देश के प्रधानमंत्री देश की शिक्षा-व्यवस्था को सुधार कर अनुशासन, नीति, आदर्शो को स्थापित करने की बात करते हैं, आज उसी दल के नेताओं, कार्यकर्ताओं ने जमशेदपुर स्थित एक प्रतिष्ठित तकनीकी शिक्षा संस्थान एनटीटीएफ को बंद कराने में अपनी अहम भूमिका निभायी.
किसी भी शिक्षा संस्थान के अपने नियम, अनुशासनिक व्यवस्था, कार्यप्रणाली होती है. अगर उसका उल्लंघन करने के लिए उसे बलपूर्वक बाध्य किया जाता है, प्राचार्य का अपमान, एवं अभद्र व्यवहार होता है तो कहां रह गये हमारे शैक्षिक मूल्य व नैतिक परंपराएं? राजनीति के खेल में सभी दलों के पक्ष-विपक्ष के वक्तव्य और उसके पीछे वर्चस्व की लड़ाई के बीच उन सैकड़ों छात्रों के अधर में लटके भविष्य का क्या जो वहां शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं?
पद्मा मिश्र, ई-मेल से