दुनिया के विभिन्न देशों में काम कर रहे भारतीय अरबों डॉलर सालाना भेजते हैं. यह कमाई हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में अहम योगदान देती है. रिजर्व बैंक द्वारा जारी सर्वेक्षण में बताया गया है कि 2017 में 69 अरब डॉलर विदेशों में कार्यरत लोगों ने भेजा है. इनमें बहुत अधिक कुशल कामगार भी हैं तथा अर्द्धकुशल और अकुशल कामगार भी.
अपने नागरिकों द्वारा कमाई भेजने के मामले में भारत दुनिया का अग्रणी देश है. इस धन का 82 फीसदी हिस्सा महज सात देशों- संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, सऊदी अरब, कतर, कुवैत, ब्रिटेन और ओमान- से आता है. बकौल रिजर्व बैंक, बाहर काम रहे 90 फीसदी से अधिक भारतीय खाड़ी देशों और दक्षिणपूर्वी एशिया में हैं. साल 2016-17 में सऊदी अरब समेत खाड़ी देशों से 50 फीसदी से ज्यादा धन भेजा गया था.
इस संदर्भ में यह बात उल्लेखनीय है कि अकुशल और मामूली शिक्षित कामगारों पर हमारे देश का निवेश न के बराबर रहा है, फिर भी वे विदेशी मुद्रा के रूप में हमारी अर्थव्यवस्था में विशेष भूमिका निभा रहे हैं. इस कमाई का एक दुखद पक्ष भी है.
खाड़ी देशों में 2012 से 2018 के मध्य तक खाड़ी देशों- बहरीन, ओमान, कतर, कुवैत, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात- में औसतन 10 भारतीय कामगारों की मौत रोजाना हुई थी. ये आंकड़े स्वयंसेवी संस्था कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव ने विदेश मंत्रालय की सूचनाओं तथा संसद में दी गयी जानकारी के आधार पर जारी किया है. अरब से आ रहे अरबों डॉलर का एक हिसाब यह भी है कि हर एक अरब डॉलर पर 117 भारतीय कामगारों को जान से हाथ धोना पड़ा है.
इस स्थिति में भारत को उन देशों से बातचीत कर कामगारों की बेहतरी के लिए तुरंत पहल करनी चाहिए. विदेशों से आ रही कमाई के संदर्भ में दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसका 46 फीसदी केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में आता है. इनमें से यदि आंध्र प्रदेश को हटाकर महाराष्ट्र को जोड़ दें, तो यह आंकड़ा 58.7 फीसदी हो जाता है.
अन्य राज्यों में कमाई कम इसलिए आती है कि वहां के कामगारों में अकुशल और अशिक्षित लोगों की तादाद ज्यादा है. विभिन्न रिपोर्टों की मानें, तो बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से विदेशों में मजदूरी करनेवालों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. यदि इन राज्यों की सरकारें दक्षिणी राज्यों की तरह छात्र-युवाओं की कुशलता बढ़ाने और प्रशिक्षित करने पर ध्यान दें, तो कमाई भी बढ़ सकती है.
विदेशों में रोजगार से जुड़ी प्रक्रियाओं को भी सरल और पारदर्शी बनाने की जरूरत है, ताकि कामगारों को बेईमान बिचौलियों और शोषक रोजगारदाताओं से बचाया जा सके. देश के बाहर से एक तरफ खरबों की कमाई भारतीयों की मेहनत को इंगित करती है, तो दूसरी तरफ इस बात पर जोर भी देती है कि उनकी हालत बेहतर करने की कोशिशें भी बहुत जरूरी हैं.