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सीबीएसइ बारहवीं का परिणाम आ गया. बारहवीं का परिणाम तो झारखंड अधिविद्य परिषद (जैक) का भी आ चुका है, पर अधूरा. कला विषयों का परिणाम बाकी है. सीबीएसइ का नतीजा उत्तरोत्तर सुधरता जा रहा है. केंद्र सरकार के शिक्षा निदेशालय के मुताबिक, वर्ष 2002-03 में उत्तीर्णता का प्रतिशत 76.96 था जो 2011-12 में 87.72 प्रतिशत […]

सीबीएसइ बारहवीं का परिणाम आ गया. बारहवीं का परिणाम तो झारखंड अधिविद्य परिषद (जैक) का भी आ चुका है, पर अधूरा. कला विषयों का परिणाम बाकी है. सीबीएसइ का नतीजा उत्तरोत्तर सुधरता जा रहा है. केंद्र सरकार के शिक्षा निदेशालय के मुताबिक, वर्ष 2002-03 में उत्तीर्णता का प्रतिशत 76.96 था जो 2011-12 में 87.72 प्रतिशत तक पहुंच गया. सुधार तो जैक के विज्ञान तथा वाणिज्य के रिजल्ट में भी दिखा.

लेकिन अखिल भारतीय स्तर की इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं में जैक का प्रदर्शन बेहद खराब रहता आया है. नेतरहाट और इंदिरा गांधी आवासीय विद्यालय को छोड़ दें तो जैक के प्रदर्शन का सारा दारोमदार साधनहीन गैरसरकारी विद्यालयों-इंटर कॉलेजों पर होता है. एनडीए सरकार के पहले कार्यकाल में सर्व शिक्षा अभियान शुरू होने के बाद से सरकारी विद्यालयों में संसाधन के नाम पर पानी की तरह पैसा बहाया जाता है. झारखंड के सबसे छोटे जिले का बजट लगभग एक अरब होता है. इसका सर्वाधिक हिस्सा भवन निर्माण के कार्यो पर खर्च होता है.

गैर सरकारी संगठन ‘असर’ की रिपोर्ट कहती है कि झारखंड में प्राथमिक कक्षाओं की शिक्षा का स्तर निरंतर गिरता जा रहा है, पर अचरज देखिए कि माध्यमिक तथा उच्चतर माध्यमिक स्तर के रिजल्ट जबरदस्त हो रहे हैं. इसके पीछे का सच परेशान करनेवाला है. पुस्तिकाओं के मूल्यांकन से पहले कम से कम को फेल करने का स्पष्ट निर्देश होता है. बहुत बार तो यह भी देखने में आया है कि जवाब की लंबाई के हिसाब से अंक दे दिये जाते हैं. इतने सारे अंतर्विरोधों के बावजूद सरकार की भौंहें तनी होती हैं तो सीबीएसइ स्कूलों पर.

राज्य की मानव संसाधन विकास मंत्री निजी स्कूलों को लेकर जन सुनवाई तक करनेवाली हैं. सच तो यह है कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (जेट) लगभग मृतप्राय है. ऑटो भाड़ा और सैलून में हजामत की दर में बढ़ोतरी के लिए इनकी आपस की बैठक और ऑटो मामले में तो प्रशासनिक सहमति के बाद ही कोई कदम उठाया जाता है, लेकिन प्रावधान के बावजूद आज तक निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी के लिए ऐसा नहीं किया गया, तो इसके लिए क्या तंत्र (जेट) जवाबदेह नहीं है. आखिर इस चूक की जनसुनवाई कौन करेगा?

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