इ-रिटेल की दो बड़ी कंपनियों- फ्लिपकार्ट व माइंत्र का विलय न सिर्फ भारतीय व्यापार जगत की एक बड़ी घटना है, बल्कि इससे इंटरनेट के व्यावसायिक पक्ष- इ-कॉमर्स, विशेषकर इ-रिटेल के क्षेत्र में, एक नये अध्याय का सूत्रपात होता है.
बीते कुछ वर्षो में डिजिटल तकनीक व इंटरनेट ने हमारे जीवन में जरूरी जगह बना ली है. दूरसंचार, मनोरंजन, सोशल मीडिया और नेट बैंकिंग महानगरों से लेकर सुदूर देहातों तक पहुंच चुके हैं, लेकिन व्यापारिक गतिविधियों के लिए इ-कॉमर्स और प्रशासनिक कुशलता के लिए इ-गवर्नेस के क्षेत्र में अभी अपेक्षित विस्तार नहीं हो सका है. इस कारण निवेशकों और आर्थिक मसलों पर सक्रिय संस्थानों के लिए इ-रिटेल की इन दो कंपनियों का विलय एक स्वागतयोग्य कदम है. हालांकि इस विलय के लेन-देन की रकम का खुलासा अभी नहीं किया गया है, पर बाजार के जानकारों ने माइंत्र की कीमत 300 से 330 मिलियन डॉलर के बीच आंका है.
फ्लिपकार्ट ने 100 मिलियन डॉलर अतिरिक्त निवेश की भी बात कही है. इस खरीद के बाद भी माइंत्र अलग ब्रांड के रूप में बना रहेगा. अब इन दोनों ब्रांडों का देश के इ-रिटेल के बाजार के 50 फीसदी हिस्से पर कब्जा हो जायेगा. इस खरीद से पूर्व अंतरराष्ट्रीय इ-रिटेल बाजार में फ्लिपकार्ट का हिस्सा तकरीबन पांच फीसदी था. लेकिन यह परिघटना सिर्फ आंकड़ों या निवेश का मसला भर नहीं है. डिजिटल तकनीक और इंटरनेट का इतिहास यह बताता है कि व्यावसायिक कौशल के साथ अब समय नये विचारों, सोच और प्रयासों का है.
सूचना-क्रांति के त्वरित प्रसार के दौर में उपभोक्ताओं की जरूरतों का पूर्वानुमान और भविष्य की परिस्थितियों का आकलन कर लाभोत्पादक पहलों का दौर है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का इंटरनेट रिटेल बाजार 50 से 55 फीसदी की दर से बढ़ते हुए 2016 तक 50 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच जायेगा. देश की अर्थव्यवस्था में इस वृद्धि का बड़ा योगदान है. आज देश में युवाओं की बहुत बड़ी संख्या समुचित शिक्षा व कौशल के साथ रोजगार के बेहतर अवसरों की तलाश में है. अगर युवाओं का एक वर्ग उद्यमशीलता और नवोत्पादन की ओर रुख करे, तो इ-कॉमर्स में बेहतर संभावनाओं के द्वार खुल सकते हैं.