आलोक पुराणिक
व्यंग्यकार
puranika@gmail.com
बहुत बड़े टीवी चैनल के बहुत बड़े एंकर थे वह. मुझे भेजा गया था उनका इंटरव्यू लेने. सुना था कि देश के विश्वविद्यालयों से उन्होंने पढ़ाई की है. उनसे हुए साक्षात्कार के कुछ अंश इस प्रकार हैं…
सवाल- जी कैसे हैं आप? फिलीस्तीन-इस्राइल के संबंधों पर कुछ नयी किताबें आयी हैं. बैंकों के डूबते कर्जों पर भी कुछ नयी किताबें आयी हैं. क्या पढ़ रहे हैं आप?
टीवी एंकर उर्फ टीएं- गुफाओं का रहस्य, किम जोंग उन की प्रेमिकाएं, सुंदरी रहस्य, तेरी जालिम हंसी कत्ल करे, आंख मारने की प्रविधियां-एक शोधपरक अध्ययन आदि किताबें पढ़ रहा हूं. गुफाओं का रहस्य में बताया गया है कि कितनी तरह की गुफाएं होती हैं. इन दिनों हनीप्रीत की गुफाओं पर बहुत चर्चा रही, तो प्लान करना होता है कि किस तरह से गुफाओं को अपने कार्यक्रम में लाना है. किम जोंग की कितनी प्रेमिकाओं पर हमें करीब 100 बुलेटिन करने हैं. सुंदरी रहस्य में मुझे समझना है कि सुंदरियां कितनी तरह की होती हैं. प्रिया प्रकाश नामक सुंदरी का वीडियो वायरल हुआ है. सो, समझना है कि उसके आंख मारने के अंदाज की हमें किस तरह से व्याख्या करनी है. उस पर करीब एक हजार बुलेटिन बनाने हैं. तो इस तरह का गंभीर अध्ययन-मनन चल रहा है.
सवाल- एक हजार बुलेटिन प्रिया प्रकाश वारियर के वीडियो पर! एक हजार बुलेटिन में क्या दिखायेंगे?
टीएं- कमाल है! आप पढ़े लिखे नहीं हैं, ऐसा लगता है. प्रिया प्रकाश के इतने लाख फाॅलोअर हो गये हैं सोशल मीडिया पर. वही तो असल मसला है राष्ट्र का. उस पर हजार क्या पांच हजार बुलेटिन निकाल सकते हैं.
सवाल- पर क्या दिखायेंगे?
टीएं- एक प्रोग्राम होगा-अंखियों से गोली मारे. इसमें गोविंदाजी और रवीना टंडन बतौर गेस्ट होंगे. बैकग्राउंड में गाना बजेगा- अपने दीवानों का कर दे बुरा हाल रे कि अंखियों से गोली मारे. टंडनजी बतायेंगी कि उनके जमाने में आंखें किस तरह से मारी जाती थीं और अब आंखों को मारने की प्रविधियों में क्या-क्या बदलाव आये हैं
सीनियर अभिनेता जीतेंद्रजी ने भी एक गीत गाया था- एक आंख मारूं तो परदा हट जाये, दोनों आंखें मारूं, तो छोरी पट जाये…. फिल्म तोहफा में जीतेंद्रजी ने यह संदेश दिया. हम इस संदेश की बारीकियों को समझने की कोशिश करेंगे और प्रिया प्रकाशजी की आंख-मारन गतिविधियों के समसामयिक संदर्भ समझने की कोशिश करेंगे. हम समझेंगे कि प्रियाजी की आंख-मारन गतिविधि का महत्व तो है, पर ऐसा नहीं कि बुजुर्गों ने आंख मारने के क्षेत्र में हाथ नहीं आजमाये हैं. कार्यक्रम में आंख मारने के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य लाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं.
सवाल- परिप्रेक्ष्य, ऐतिहासिक, प्रतिबद्ध आदि आपके शब्दों से एकदम गंभीर विमर्श का फील आ रहा है. है न?
टीएं- जी मैं एकदम गंभीर बात ही कर रहा हूं.
मैं- सहमत हूं जी, आपसे सहमत हूं!