छत्तीसगढ़ में एक सीआरपीएफ जवान द्वारा अपने चार साथी जवानों की गोली मार कर हत्या कर दी गयी. ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं. इसमें कोई दो मत नहीं है कि सेना या पैरामिलिटरी जिस आधार पर अपने अनुशासन को कायम रखती है, उससे सैनिकों के व्यक्तित्व में निखार आती है, लेकिन क्या वे उनकी मानसिक स्थिति का आकलन करने में सफल हो पाते हैं?
एक जवान 6-6 महीने तक अपने घर-परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों से दूर रहता है. सभी की घर की परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं. ऐसे में कई जवान अपनी पारिवारिक समस्याओं से परेशान होते हैं. फिर भी वे अपने कर्तव्य को निभाते हैं.
ऐसे में मानसिक दबाव उन्हें इस तरह के कदम उठाने को प्रेरित और मजबूर करते हैं. यह बात अच्छी नहीं है और इसका पक्ष नहीं लिया जा सकता. जरूरत है कि जवानों की मनोदशा को जानने के तरीकों को और तीक्ष्ण, मानवीय एवं संवेदनशील बनाया जाये. उनकी काउंसेलिंग को और प्रभावी बनाना होगा.
विशाल सिंह, इमेल से.