आभासी मुद्रा के रूप में पिछले करीब एक दशक से चर्चित रहा बिटक्वाइन हाल में उस समय बेहद सुर्खियों में आया, जब इसकी कीमत 11,395 अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गयी. फिलहाल भारत समेत दुनिया के अनेक देशों में इसके इस्तेमाल पर पूर्णतया पाबंदी नहीं है, जिस कारण लोगों में इसके प्रति दिलचस्पी बढ़ रही है और यह लोकप्रिय हो रहा है. बिटक्वाइन और इससे जुड़े विविध पहलुओं को रेखांकित कर रहा है आज का इन दिनों ..
करीब एक दशक पहले अगस्त, 2008 में ‘बिटक्वाइन डॉट ओआरजी’ नामक एक डोमेन संतोशी नाकामोतो के नाम पर निबंधित कराया गया. संतोशी की पहचान स्पष्ट नहीं है कि वह कोई व्यक्ति है या लोगों का समूह. जनवरी, 2009 में जब नाकामोतो ने एक अन्य प्रोग्रामर हैल फिनी के साथ 50 बिटक्वाइन का पहला लेनदेन किया, तो बिटक्वाइन नेटवर्क का वजूद सामने आया. इस प्रकार दुनिया की पहली अविनियमित और विकेंद्रित क्रिप्टोकरेंसी (शाब्दिक अर्थ गुप्त या गूढ़ मुद्रा) तथा विश्वव्यापी भुगतान व्यवस्था अस्तित्व में आयी.
2017 के आरंभ में इसका लेनदेन केवल 998 डॉलर पर हो रहा था, पर हाल में 29 नवंबर, 2017 को जब एक बिटक्वाइन की कीमत 11,395 अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गयी, तब इसने वित्तीय क्षेत्र के लोगों का ध्यान आकृष्ट किया. एक खुले स्रोतवाली अंतरराष्ट्रीय भुगतान व्यवस्था होने की वजह से, इसका विनियमन किसी बैंक अथवा वित्तीय संस्था द्वारा नहीं होता. यह व्यक्ति से व्यक्ति के बीच का नेटवर्क है और इसके उपयोगकर्ताओं के बीच इसका लेन-देन बगैर किसी मध्यस्थ के ही संपन्न होता है, जिसकी नेटवर्क नोड्स (संपर्क बिंदु) द्वारा पुष्टि कर, उसे लोगों के बीच वितरित ‘ब्लॉकचेन’ नामक एक खाते में दर्ज किया जाता है.
कैसे सृजित होता है बिटक्वाइन
लेन-देन की इकाइयों के रूप में बिटक्वाइन ‘माइनिंग’ नामक प्रक्रिया के पुरस्कार स्वरूप सृजित होता है, जिसे इस प्रक्रिया में शामिल ‘सॉफ्टवेयर डेवलपर्स’ द्वारा कंप्यूटर प्रसंस्करण अधिकार के प्रयोग द्वारा संपन्न किया जाता है. यदि किसी लेन-देन को नेटवर्क के बाकी हिस्से द्वारा स्वीकार किया जाना है, तो ब्लॉकचेन के इस नये ब्लॉक को एक खास संख्या के साथ ‘कार्य के प्रमाण’ की जरूरत होती है. नेटवर्क के किसी भी नोड के लिए इस साक्ष्य की संपुष्टि करना आसान होता है, पर इसे सृजित करना अत्यंत समयसाध्य कार्य है. अतः इसके सृजनकर्ता द्वारा शुल्क लिया जा सकता है, जो तय नहीं है और वह शून्य भी हो सकता है.
इस प्रक्रिया द्वारा सफल ‘माइनर’ को साधारणतः नवसृजित बिटक्वाइन तथा लेनदेन के शुल्क द्वारा पुरस्कृत किया जाता है. इस पुरस्कार पर अपना दावा करने के लिए प्रक्रिया संपन्न भुगतानों में ‘क्वाइनबेस’ नामक एक विशिष्ट लेनदेन शामिल किया जाता है. जब कोई लेनदेन संपन्न हो जाता है, तो इस अत्यंत जटिल तथा क्रिप्टाग्राफिक प्रक्रिया की वजह से उसे वापस नहीं किया जा सकता.
सीमित आपूर्तिवाली वित्तीय परिसंपत्ति के रूप में सृजन
9 जुलाई 2016 की स्थिति देखें, तो ‘ब्लॉकचेन’ में प्रति ब्लॉक जोड़ने पर माइनरों का पुरस्कार 12.5 नवसृजित बिटक्वाइन हुआ करता था. बिटक्वाइन की नियमावली के अनुसार, एक ब्लॉक जोड़ने का पुरस्कार लेन-देनों के प्रति 2,10,000 ब्लॉक (यानी लगभग प्रति चार वर्षों पर) के बाद आधा कर दिया जायेगा. अंततः वर्ष 2140 में यह पुरस्कार घट कर शून्य पर पहुंच जायेगा और 2 करोड़ 10 लाख बिटक्वाइन की अधिकतम सीमारेखा छू ली जायेगी. तब लेनदेनों की प्रक्रिया जारी रखनेवालों को यह पुरस्कार केवल लेनदेन के शुल्क के रूप में ही मिला करेगा. इस तरह, सोने की ही तरह, बिटक्वाइन को भी ‘सीमित आपूर्तिवाली वित्तीय परिसंपत्ति’ के रूप में ही सृजित किया गया है.
आधिकारिक एक्सचेंज का अभाव
बिटक्वाइन की कीमतों में आयी वर्तमान उछाल की तरह, प्रत्येक उछाल से बिटक्वाइन खबरों में छा जाता है और निवेशकों व सट्टेबाजों की एक नयी पौध इस मुनाफे के एक हिस्से पर अपना कब्जा करने में लग जाती है. बिटक्वाइन में व्यापार करना मुद्रा व्यापार और भुगतान व्यवस्था जैसा ही है- इसमें कोई रोक नहीं होती और यह व्यापार विभिन्न ऑनलाइन पोर्टलों के माध्यम से होता है. इसके लेनदेन हेतु कोई आधिकारिक एक्सचेंज नहीं है. संक्षेप में कहा जाये, तो इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव का अर्थ निवेशकों तथा व्यापारियों द्वारा सट्टेबाजी या जुए जैसा व्यवहार किया जाना है.
निवेशित धन की गारंटी नहीं
चूंकि इन लेन-देनों का कोई भी पर्यवेक्षण और विनियमन नहीं होता, अतः इसमें निहित धन समाप्त भी हो जा सकता है. बिटक्वाइन के प्रारंभिक दिनों में जापान में माउंट गोक्स इसका सबसे बड़ा एक्सचेंज था. पूरे विश्व के ग्राहक कुछेक बिटक्वाइन पाने की आशा में माउंट गोक्स के बैंक खाते में खुशी-खुशी पैसे उड़ेला करते थे. पर बहुत सारे उपयोगकर्ता इस मौलिक सिद्धांत को भूल बैठे कि वे कम-से-कम अपने पैसे खाते से निकालते जाएं. नतीजन बैंक खाते में आठ लाख से अधिक बिटकॉइन जमा हो गये. फरवरी, 2014 में माउंट गोक्स ने अपने खाते से पैसे निकालना रोक दिया. बैंक के सीइओ ने दावा किया कि सॉफ्टवेयर में किसी वायरस की वजह से अधिकतर इकट्ठा बिटक्वाइन गायब हो गये.
अनेक जोखिम हैं इसकी राह में
इसमें लेन-देन की सामान्य जोखिमों के अलावा खास जोखिम भी हैं. चूंकि रुपयों में एक बिटकॉइन की कीमत लगभग 8.6 लाख रुपयों तक पहुंच गयी है, सो भारत में भी बिटक्वाइन आकर्षण का केंद्र बन उठा. अपुष्ट रिपोर्टों के अनुसार, भारत में बिटक्वाइन का व्यापार प्रतिमाह 200 करोड़ रुपये से लेकर 250 करोड़ रुपयों तक हो रहा है.
इसके प्रति दिलचस्पी रखनेवाले इन पक्षों को यह ध्यान रखना चाहिए कि भारत में बिटक्वाइन को असली आर्थिक लेन-देन में इस्तेमाल करने के अधिक रास्ते उपलब्ध नहीं हैं. इ-कॉमर्स की फ्लिपकार्ट, अमेजन तथा मेकमाइट्रिप जैसी एजेंसियां भी बिटक्वाइन एक्सचेंज का इस्तेमाल करनेवालों के लिए वाउचर कार्यक्रम तो चलाते हैं, पर वे बिटक्वाइन में भुगतान स्वीकार नहीं करते. बिटक्वाइन व्यापारिक एक्सचेंज प्रायः बिटक्वाइन को सामान्य मुद्रा में बदलने का कार्य करते हैं, इसलिए बिटक्वाइन में निवेश करनेवाले व्यक्तिगत निवेशक वित्तीय बाजार सुरक्षा की किसी शिथिल परिभाषा के अंतर्गत असुरक्षित हैं.
निवेश में व्यापक सतर्कता जरूरी
जहां तक अर्थव्यवस्था का प्रश्न है, बिटक्वाइन व्यवस्था में कोई भी संभावित गिरावट समग्र अर्थव्यवस्था पर प्रभाव नहीं डाल सकती. भारत जैसे देश में, जहां पूंजी बड़ी मुश्किल से जुट पाती है, बिटक्वाइन में पूंजी लगाना बुद्धिमत्तापूर्ण नहीं कहा जा सकता.
(अनुवाद : विजय नंदन)
क्या है क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी को डिजिटल करेंसी कहा जा सकता है. ‘क्रिप्टोक्वाइन्स न्यूज’ के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी सामान्य मुद्रा की तरह ही एक्सचेंज का माध्यम है, लेकिन इस मुद्रा का डिजाइन वर्चुअल तरीके से किया जाता है, न कि भौतिक रूप से. डिजिटल माध्यम से विनिमय के मकसद से इसे क्रिप्टोग्राफी के कुछ तय सिद्धांतों के अनुरूप डिजाइन किया जाता है. क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल इसके ट्रांजेक्क्शन को सिक्योर बनाये रखने और नये क्वाइन्स के निर्माण को नियंत्रित रखने में किया जाता है.
क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास
बिटक्वाइन को सबसे पहला क्रिप्टोकरेंसी माना जाता था. पहली बार अमेरिकी नेशनल सिक्युरिटी एजेंसी द्वारा इसे डिजाइन किया गया था. वर्ष 2011 में लिटक्वाइन जारी किया गया था, जिसे पहला सफल क्रिप्टोकरेंसी बताया जाता है. वर्ष 2013 में पहली बार दुनिया का ध्यान इस वर्चुअल करेंसी की ओर उस समय गया, जब बाजार में इसकी कीमत एक अरब डॉलर काे पार कर गयी.
क्या भारत में वैध है बिटक्वाइन
बिटक्वाइन का भुगतान करनेवालों के गुमनाम होने के कारण कई देशों में इसका इस्तेमाल अवैध माना जाता है. हालांकि, बिटक्वाइन की वैधता की स्थिति अलग-अलग देशों में भिन्न-भिन्न है. भारत में इसे रेगुलेट नहीं किया गया है. वर्ष 2013 के बाद भारत में इसका इस्तेमाल शुरू हुआ था. अहमदाबाद और बेंगलुरु की कई फर्मों ने इनका इस्तेमाल शुरू किया. इनफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट ने विदेशी विनिमय प्रबंधन एक्ट के तहत इसमें गड़बड़ी पाये जाने पर उसी समय इस पर रोक लगा दी.
क्या है बिटक्वाइन
यह कोई क्वाइन यानी सिक्का नहीं है. यह वर्चुअल टोकन या एक कोड है, जिसे एक निर्धारित सुरक्षा और नेटवर्क के दायरे में किसी दूसरे यूजर को ट्रांसफर किया जा सकता है.
भारत में इसे कहां खरीदा जा सकता है
भारत में फिलहाल इसे खरीदने के लिए करीब 11 ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म हैं. यूनिक्वाइन, जेबपे, क्वाइनसिक्योर, क्वाइनकोमा, लोकलबिटक्वाइन्स और बिटक्वाइन्स एटीएम्स इनमें प्रमुख हैं.
कितना महंगी है क्रिप्टोकरेंसी
वैश्विक स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी की कीमत बीते बुधवार को 11,000 डॉलर को पार करते हुए अब तक की सर्वाधिक रही.
तो क्या यह धनाढ्यों की संपत्ति है
आप महज एक हजार रुपया खर्च करके इसके यूनिट का हिस्सा खरीद सकते हैं. मान लें कि बिटक्वाइन एक रुपया है और आप इसके कुछ हिस्से खरीदना चाहते हैं, तो आप पैसे के तौर पर इसमें से कुछ बिट्स खरीद सकते हैं. इस तरह आप 0.2 या 0.3 बिट के रूप में बिटक्वाइन खरीद सकते हैं
कहां किया जा सकता है इसका इस्तेमाल
अब तक भारत में कई ऐसी जगहें उभर चुकी हैं, जहां बिटक्वाइन्स का इस्तेमाल होने लगा है. फ्लिपकार्ट, अमेजन और मेकमाइट्रिप जैसे ई-कॉमर्स के बड़े खिलाड़ी बिटक्वाइन्स एक्सचेंज करने लगे हैं, लेकिन बिटक्वाइन्स में वे भुगतान स्वीकार नहीं करते हैं.
विश्व में कितने लोग इसका इस्तेमाल करते हैं
दुनियाभर में 30 लाख से ज्यादा लोग बिटक्वाइन सरीखे क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करते हैं.
(स्रोत : कैंब्रिज सेंटर फॉर अल्टरनेटिव फाइनेंस,
इकोनोमिक टाइम्स और अन्य विविध वेबसाइट)
अभिजीत मुखोपाध्याय
अर्थशास्त्री