पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ पर देशद्रोह का आरोप तय हो चुका है, यानी पहली नजर में उनके खिलाफ इतने पुख्ता सुबूत हैं, जो उन्हें कठघरे में घसीटने के लिए काफी हैं. मुकदमे का आखिरी फैसला जो भी हो, मगर यह तो तय है कि उनके बुरे वक्त का अंत नहीं दिख रहा, क्योंकि अभी कई मुकदमे उनकी राह देख रहे हैं.
एक फौजी के लिए इससे बड़ी बेइज्जती और कुछ नहीं हो सकती कि उसे देशद्रोह के आरोप में कठघरे में बुलाया जाये. अपने ही देश के लोगों की निगाहों में खुद के लिए नफरत पढ़ना एक शासक के लिए वाकई कचोटनेवाली बात है. बहरहाल, पाकिस्तान की सियासत ऐसे मंजर देखने की आदी रही है. परवेज मुशर्रफ का कानूनी हश्र आनेवाले दिनों में पड़ोसी मुल्क के इतिहास का निर्णायक मोड़ भी साबित हो सकता है. बशर्ते अदालत बगैर किसी खौफ और पक्षपात के अपना फैसला सुनाये.
देवराज साहा, बोकारो