चुनाव नजदीक आ गया है. सभी दल घोषणा पत्र जारी कर रहे हैं, वायदे कर रहे हैं. लेकिन इन सब से ऊपर है महंगाई का मुद्दा. पिछले 10 सालों में जो महंगाई बढ़ी है, उसने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. पहले महीने में 10 हजार रुपये कमा लेने वाला व्यक्ति भी अपने आप को राजा समझता था, लेकिन अब तो वही व्यक्ति महंगाई की मार के कारण अपनी इच्छाओं को मारता फिरता है. खैर, जो भी सरकार भविष्य में बने, वायदा तो सबका यही है कि महंगाई कम होगी, लेकिन जिज्ञासा यह है कि महंगाई घटेगी कैसे.
क्या जो व्यक्ति मकान का किराया पहले देता था, उसका मकान मालिक आ कर कहेगा कि अगले महीने से किराया कम देना क्योंकि महंगाई घट गयी है या क्या स्कूलवाले छात्रों की फीस कम कर देंगे? क्या डॉक्टर आदि पेशेवर अपनी फीस कम कर देंगे? इन सबको छोड़ भी दें, तो सबकी रोजमर्रा की जरूरत माना जानेवाला दूध जो है, क्या वह सस्ता हो जायेगा? जो ग्वाला दूध के दाम इस ऊंचाई तक ले गया है, क्या वह दूध के दाम कम कर देगा? पेट्रोल, सब्जियों, टीवी, मोबाइल के दाम के अलावा भी बहुत ऐसे क्षेत्र हैं जहां महंगाई की मार पड़ती है, लेकिन महंगाई के कम होने से इन क्षेत्रों में बहुत कम बदलाव आता है, क्योंकि इन क्षेत्रों में दाम मनमाने तरीके से बढ़ते हैं.
अब जो हो गया सो हो गया. अब तो यह देखना है कि आने वाली सरकार क्या करती है, किस तरह से आम आदमी को इन सब संकटों से उबारती है. सभी दलों से यही एक अपील है कि आपके नेता पूरे देश के हीरो भले ही होंगे, लेकिन एक आम आदमी सिर्फ अपने घर-परिवार का हीरो होता है, उसे इतना तो सामथ्र्य दीजिए कि कम से कम वह अपने परिवार के लोगों से नजर मिला सके, अपनी खास जगह बनाये रख सके.
सौरभ मिश्र, बोकारो स्टील सिटी