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स्मार्टफोन एप्प के जरिये नया आकार लेगा भारत में फूड टेक कारोबार….जानिए कैसे

खानपान की चीजों की जरूरत होने पर आम तौर पर लोग अपने आसपास के किसी रेस्टोरेंट को फोन करते हैं. ऑर्डर देने के बाद बड़ी बेसब्री से उसका इंतजार करते हैं. अक्सर यह पता नहीं होता कि उनका खाना कितनी देर में पहुंचेगा? लेकिन, फूड टेक कंपनियों के आने और तकनीक के इस्तेमाल से अब […]

खानपान की चीजों की जरूरत होने पर आम तौर पर लोग अपने आसपास के किसी रेस्टोरेंट को फोन करते हैं. ऑर्डर देने के बाद बड़ी बेसब्री से उसका इंतजार करते हैं. अक्सर यह पता नहीं होता कि उनका खाना कितनी देर में पहुंचेगा?
लेकिन, फूड टेक कंपनियों के आने और तकनीक के इस्तेमाल से अब इस परिदृश्य में व्यापक बदलाव आ रहा है. यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होने के साथ ज्यादा आसान बन रही है. इनोवेटिव तकनीक और एप्प के जरिये इसे कैसे और भी आसान बनाया जा सकता है, इसे ही रेखांकित कर रहा है आज का इन्फो टेक पेज …
बढ़ रहा दायरा
पिछले साल अधिकांश शहरों में उपभोक्ताओं ने एप-आधारित फूड डिलीवरी सर्विस को हाथों-हाथ लिया है. इससे प्रोत्साहित होकर फूड टेक कंपनियां अपने दायरे को बढ़ा रही हैं और अपने रेस्टोरेंट आधारित कारोबार को नये बाजारों तक लेकर जा रही हैं. यह भी देखा जा रहा है कि ये कंपनियों तकनीक में भी निवेश कर रही हैं, ताकि ग्राहक को अपना ऑर्डर देने के लिए बेहतर सुविधाओं वाले एप मुहैया कराये जा सकें. इस लिहाज से यह देखना उल्लेखनीय होगा कि भारतीय फूड टेक इंडस्ट्री 2018 में किस करवट बैठेगा.
रेस्टोरेंट पार्टनर्स
रेस्टोरेंट पार्टनर्स किसी भी फूड डिलीवरी नेटवर्क के अगुआ होते हैं. एक बहुविध उद्योग के रूप में, प्रत्येक फूड टेक कंपनी के लिए एक ठोस रणनीति अपनाना महत्वपूर्ण हो जाता है, जो रेस्टोरेंट को अपने साथ भागीदारी करने के लिए प्रोत्साहित करता है. फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म के तौर पर रेस्टोरेंट पार्टनर बड़ी भूमिका निभा सकेंगे. मौजूदा समय में, एप-आधारित फूड डिलीवरी पर ग्राहक की निर्भरता के कारण रेस्टोरेंट पार्टनर्स को ग्राहकों की खानपान की रुचि से जुड़े व्यापक आंकड़ों तक पहुंच कायम नहीं हो पाती है. ऐसे में उनके लिए सुधार की गुंजाइश की एक सीमा है. लेकिन तकनीक के इस्तेमाल से फूड टेक कंपनियां अपने लिए अनुकूल आंकड़े हासिल करने में सक्षम हो सकते हैं.
तकनीक में निवेश
इस बिजनेस का चेहरा मुख्य रूप से डिलीवरी पार्टनर्स हैं. वे न केवल खाना डिलीवर करते हैं, बल्कि ग्राहकों के साथ उनका सीधा संपर्क होता है और उन्हें समयसीमा के भीतर सामग्री पहुंचाने का वादा वे ही करते हैं. डिलीवरी पार्टनर्स के लिए प्रत्येक ऑर्डर विविध किस्म के होते हैं. साथ ही उन्हें अलग-अलग जगहों से सामग्री एकत्रित करते हुए समयसीमा के भीतर अलग-अलग लोकेशन तक पहुंचाना होता है. ऐसे में तकनीक के इस्तेमाल से न केवल उनका काम आसान हो सकता है, बल्कि ज्यादा तेजी से डिलीवरी की जा सकती है.
इनोवेशन और लोकलाइजेशन
फूड टेक इंडस्ट्री भारत में बदलाव के एक नये मोड़ पर है. वर्ष 2018 में तकनीक के इस्तेमाल से यह और भी ज्यादा सुविधाजनक बनायी जा सकती है. इनोवेशन और लोकलाइजेशन इसके दो प्रमुख फैक्टर होंगे. एक ठोस और इनोवेटिव तकनीक के साथ, भारत में फूड टेक कंपनियों में फूड डिलीवरी के पारंपरिक स्वरूप को खत्म करते हुए रेस्टोरेंट को अपना कारोबार बढ़ाने की क्षमता है.
डिलीवरी प्लेटफॉर्म
फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म की कामयाबी उसके आसान, भरोसेमंद और चयन पर निर्भर करेगा. जैसे-जैसे फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म बढ़ते जायेंगे, अपनी पसंद को संतुलित करना और एप के लिए ऑर्डर देना चुनौतीपूर्ण बन सकता है. हालांकि, ज्यादातर फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म रेस्टोरेंट के कलेक्शन का समूह है, जिसमें आने वाले सालों में ग्राहकों को ज्यादा विकल्प मुहैया कराये जायेंगे, ताकि वे अपनी पसंद का खाना ऑर्डर कर सकें.
स्मार्टफोन की बड़ी भूमिका
वर्ष 2018 में यह बिजनेस ठोस तकनीक पर आधारित होगा, जिसमें क्रिएटिविटी को नये सिरे से फोकस किया जायेगा. फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म की बढ़ती लोकप्रियता के बीच भारत में फूड टेक्नोलॉजी का दायरा व्यापक होगा. इसमें स्मार्टफोन की बड़ी भूमिका होगी. इस वर्ष ट्रेडिशनल रेस्टोरेंट के पूल को फूड टेक कारोबार अधिग्रहित कर सकते हैं. तकनीक के जरिये ऐसा प्लेटफाॅर्म बनाया जा सकता है, जिससे जुड़ कर ग्राहक अपनी रोजाना की खानपान की जरूरतों को मनमुताबिक चुन सकते हैं.
ब्रॉडबैंड डाउनलोड स्पीड के सुधार में भारत पहले नंबर पर
ब्रॉडबैंड डाउनलोड स्पीड के सुधार में भारत का स्थान इस बार सबसे पहला रहा है. ‘उक्ला’ द्वारा जारी की गयी वर्ष 2017 की ‘ग्लोबल इंडेक्स’ के मुताबिक, मोबाइल डाटा स्पीड में सुधार के मामले में भारत दुनियाभर में दूसरे नंबर पर रहा है. भारत में मोबाइल और ब्रॉडबैंड इंटरनेट की स्पीड निश्चित रूप से पिछले कुछ वर्षों में विकसित हुई है.
हालांकि, इस दिशा में भारत को अभी बहुत लंबा रास्ता तय करना होगा, जब जाकर वह इस संदर्भ में विकसित देशों की श्रेणी में आ सकेगा. उक्ला के जनरल मैनेजर और सह-संस्थापक डग शटल्स ने उम्मीद जतायी है कि भारतीय बाजार में यह क्षमता है कि वह इस क्षमता को बेहद तेजी से हासिल कर सकता है.
स्पीडटेस्ट ग्लोबल इंडेक्स दुनियाभर में प्रत्येक माह इंटरनेट स्पीड की जांच करता है. इस इंडेक्स के लिए रोजाना करोड़ों लोगों द्वारा इस्तेमाल किये गये आंकड़े हासिल किये जाते हैं. इसके लिए दुनियाभर में 7,000 से अधिक सर्वर लगाये गये हैं. इसमें से भारत में करीब 439 स्पीडटेस्ट सर्वर भारत में हैं. इस संबंध में कुछ अन्य तथ्य इस प्रकार हैं :
76.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है भारत की औसत फिक्स्ड ब्रॉडबैंड स्पीड में. चीन अौर अमेरिका का नाम इस सूची में भारत के बाद है.
8.80 एमबीपीएस पर मोबाइल डाटा डाउनलोड स्पीड में 42.4 फीसदी की वृद्धि हुई है भारत में, वर्ष 2017 के दौरान.
30 फीसदी की दर से बढ़ोतरी दर्ज की गयी दुनियाभर के इंटरनेट स्पीड में, बीते वर्ष के दौरान.
30.1 प्रतिशत की वैश्विक औसत वृद्धि हुई बीते 12 माह की समयावधि में दुनियाभर में 20.28 एमबीपीएस पर मोबाइल से डाउनलोड की.
38.9 प्रतिशत की वैश्विक औसत वृद्धि हुई बीते एक साल में दुनियाभर में 20.28 एमबीपीएस पर मोबाइल से अपलोड के मामले में.
109वां स्थान दिया गया है भारत को इस स्पीडटेस्ट ग्लोबल इंडेक्स में, मोबाइल इंटरनेट स्पीड के लिहाज से.
76वां स्थान दिया गया है भारत को इस स्पीडटेस्ट ग्लोबल इंडेक्स में, फिक्स्ड ब्रॉडबैंड स्पीड के लिहाज से.

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