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फेसबुक पर फेक न्यूज फैलायी तो फौरन हो जाएंगे एक्सपोज

अगर आप भी फेसबुक पर ज्ञानी बनने के चक्कर में किसी भी न्यूज को बिना सोचे समझे पोस्ट करते हैं तो सावधान हो जाइए. आपकी पोस्ट तो हाइड होगी ही इसके साथ ही आपके पोस्ट को फेक न्यूज बताते हुए संदेश सार्वजनिक कर दिया जायेगा. इन दिनों फेसबुक फेक न्यूज की बढ़ती संख्या और शेयरिंग […]

अगर आप भी फेसबुक पर ज्ञानी बनने के चक्कर में किसी भी न्यूज को बिना सोचे समझे पोस्ट करते हैं तो सावधान हो जाइए. आपकी पोस्ट तो हाइड होगी ही इसके साथ ही आपके पोस्ट को फेक न्यूज बताते हुए संदेश सार्वजनिक कर दिया जायेगा. इन दिनों फेसबुक फेक न्यूज की बढ़ती संख्या और शेयरिंग पर लगाम लगाने, सच्ची खबरों को और ज्यादा वायरल बनाने के इरादे से न्यूज फीड का रियल टाइम सर्वे कर रहा है. इसके लिए इसने फैक्ट चेक की एक टीम भी बनायी है. इस कारण फेसबुक के इस फैसले से फर्जी न्यूज चलाकर कमाई करने वाली न्यूज साइट्स एक्सपोज हो रहीं हैं और इसके साथ ही वे लोग भी बेनकाब हो रहें हैं जो ऐसा कर अपना हित साधने की कोशिश कर रहे हैं.

पटना : सोशल मैसेजिंग एप व्हाट्सएप ने ‘फॉरवर्ड मैसेज इंडीकेटर’ फीचर की शुरुआत कर दी है. इस फीचर से अब किसी भी यूजर को यह पता लगाने में मदद मिल रही है कि उसे मिला हुआ मैसेज भेजने वाले ने जेनरेट किया है या किसी और के मैसेज को ही फॉरवर्ड किया गया है. हाल के दिनों में सोशल मीडिया के जरिये देश में फेक न्यूज और अफवाहें फैलाने के कई मामले के बाद कंपनी की ओर से अखबारों में विज्ञापन देकर अवेयर किया गया. इस नयी सुविधा से यूजर को यह भी पता चल रहा हैं कि उसके दोस्त या रिश्तेदार द्वारा भेजा गया मैसेज उन्होंने लिखकर भेजा है या कहीं और से आया है.

ट्विटर ने भी बंद किये हैं सैंकड़ों एकाउंट्स
फेक एकाउंट के जरिये झूठी और सनसनीखेज खबरें फैलाने की वजह से ट्विटर ने दुनिया भर में ढ़ाई करोड़ एकाउंट्स को सस्पेंड कर दिया है. इसमें ज्यादातर खाते ट्रोलर्स के हैं. कुछ महीनों के दौरान एक दिन में 10-10 लाख खाते बंद किये गये हैं. भारत में ट्विटर के 3.04 करोड़ यूजर हैं और 2019 तक इनकी संख्या 3.44 करोड़ पहुंचने का अनुमान है. ट्विटर ने हाल ही में अपने प्लेटफार्म पर झूठी और सनसनीखेज खबरें फैलाने वाले पोस्ट से निपटने के लिए अपनी नीति में बदलाव किया था. कंपनी ने इसके लिए नयी तकनीक को अपनाया और कर्मचारियों की संख्या को भी बढ़ाने का एलान किया था. ये आंकड़े अप्रैल तक के हैं. अभी अप्रैल-जून तिमाही के आंकड़े आना बाकी है जिसमें यूजर की संख्या और भी घट सकती हैं.

निर्वाचन आयोग की भी है सोशल मीडिया पर नजर
2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने के लिए रूस समर्थित एकाउंट से फेसबुक पर विज्ञापन और गलत खबरें खूब प्रसारित की गयी थीं. इसके बाद से फेसबुक सवालों के घेरे में आ गया था. इनके अतिरिक्त विशेष विचार और राजनीति वर्ग को समर्थन देने के लिए भी फेसबुक को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. इस कारण भारत के चुनावों में फेक न्‍यूज सर्वे कराके फेसबुक अपनी खोयी हुई साख फिर से वापस पाने की कोशिश में है.

सख्त है चुनाव आयोग
सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले लोग सावधान हो जाएं क्योंकि चुनाव की तारीख घोषित होते ही चुनाव आयोग सख्त है. फेसबुक और ट्विटर पर भड़काऊ पोस्ट करने वाले जेल जा सकते हैं. इसकी मॉनिटरिंग दिल्ली में बैठकर इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के अधिकारी कर रहे हैं. चुनाव आयोग के अधिकारियों की मानें तो लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीति दल, उम्मीदवार असत्यापित विज्ञापन, रक्षा कर्मियों की तस्वीरें, फेक न्यूज, भड़काऊ पोस्ट सोशल मीडिया पर नहीं डाल सकते हैं.

हो सकती है जुर्माना

आज भी सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों का दुरुपयोग कर ऐसी अफवाहें एवं भ्रामक सूचनाएं फैलायी जा रही हैं, जिससे समाज में वैमनस्य बढ़ें. साइबर अपराध के मामलों के विशेषज्ञ एसपी सुशील कुमार बताते हैं कि अगर आप ऐसे किसी भी झूठे प्रचार, अफवाह या दो समूहों में तनाव या वैमनस्य पैदा करने वाली गतिविधियों में शामिल होते हैं तो आइपीसी की धारा 153-ए के अंतर्गत तीन वर्षों की सजा और जुर्माना दोनो हो सकते हैं. इसके साथ ही अाइपीसी की धारा 295 ए के अंतर्गत तीन वर्षों की सजा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं. आइटी एक्ट 2008 की धारा 67 के अंतर्गत तीन वर्षों की सजा और पांच लाख रुपये तक जुर्माना और इसे दोहराने पर पांच वर्षों की सजा और दस लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है.

केस-1
पटना की एक महिला नेताजी ने अपनी पार्टी को वोट देने के चक्कर में अपोजिट पार्टी के पुराने नेताजी के नाम से एक फेक और वायरल न्यूज को पोस्ट किया. पोस्ट को छह घंटे के अंदर ही फेसबुक फैक्ट चेक टीम ने फेक न्यूज करार दिया और व्यूअर्स को इसपर विश्वास करने से मना कर दिया गया. इसको लेकर एक मैसेज भी दिखने लगा साथ ही पोस्ट हाइड कर दी गयी.

केस-2
नालंदा के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने ऐसी ही एक पोस्ट की जिसमें यह संदेश जारी किया गया था कि जिले में एक धर्म विशेष के साथ मारपीट हो गयी है. इसमें जिस तरह का आह्वान किया गया था उससे सामाजिक वैमनस्यता का संदेश प्रसारित हो रहा था. इसे भी फेसबुक ने हाइड कर दिया और इसे फेक न्यूज करार दिया.

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