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तृणमूल कांग्रेस में आत्ममंथन का दौर शुरू

जलपाईगुड़ी : लोकसभा चुनाव में मिली भारी शिकस्त को लेकर तृणमूल के अंदर आत्ममंथन का दौर शुरु हो गया है. हालांकि आला-कमान ने जलपाईगुड़ी जिलाध्यक्ष के पद पर सौरभ चक्रवर्ती को बहाल रखा है. रविवार को दलीय प्रमुख के निर्देश पर जिला कमेटी का पुनर्गठन किये जाने को लेकर अध्यक्ष ने बैठक की. इसमें जिला […]

जलपाईगुड़ी : लोकसभा चुनाव में मिली भारी शिकस्त को लेकर तृणमूल के अंदर आत्ममंथन का दौर शुरु हो गया है. हालांकि आला-कमान ने जलपाईगुड़ी जिलाध्यक्ष के पद पर सौरभ चक्रवर्ती को बहाल रखा है. रविवार को दलीय प्रमुख के निर्देश पर जिला कमेटी का पुनर्गठन किये जाने को लेकर अध्यक्ष ने बैठक की.

इसमें जिला कमेटी में जनसंगठनों के पदाधिकारियों को दायित्व देने पर विचार किया गया. यह बदलाव जलपाईगुड़ी के पर्यवेक्षक अरुप विश्वास के निर्देश पर किया जा रहा है. इस बीच सोशल मीडिया में कार्यकर्ताओं ने पराजय के लिये कई नेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें हटाये जाने की मांग की है.
पूर्व जिलाध्यक्ष कृष्ण कुमार कल्याणी ने प्रेस बैठक कर कई ‘ तोलाबाज ‘ नेताओं को पराजय के लिये जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने जिला कमेटी में बदलाव की सलाह भी दी है. आज की बैठक में सौरभ चक्रवर्ती के अलावा गौतम दास, तपन बनर्जी, मोहन बोस, संदीप महतो, निताई कर, दुलाल देवनाथ, प्रतीकलाल झा की उपस्थिति रही.
सौरभ चक्रवर्ती ने बताया कि जो नेता दलीय हित में काम करने वाले स्वच्छ छवि वाले हैं उन्हें महत्वपूर्ण पद दिये जायेंगे. बूथ स्तर पर आम जनता के साथ संपर्क बढ़ाया जायेगा. जहां जहां तृणमूल समर्थकों पर हमले होंगे वहां दलीय नेता कार्यकर्ता जाकर उसका प्रतिरोध करने के अलावा प्रदर्शन करेंगे.
उन्होंने कहा कि तृणमूल कार्यकर्ताओं ने विरोधी दलों के दफ्तरों पर हमले नहीं किये हैं. लेकिन आज तृणमूल के साथ हो रहा है जिसका माकूल जवाब दिया जायेगा. आगामी विधानसभा और नगरपालिका चुनाव है.
इसके मद्देनजर दल की रणनीति बदली जायेगी. जनसंपर्क बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जिला कमेटी के कई पदाधिकारियों के दायित्व में बदलाव किये जायेंगे. पुनर्गठन प्रदेश कमेटी और जिला कमेटी की 31 मई की बैठक के बाद किया जायेगा.
कृष्ण कुमार कल्याणी की प्रेस वार्ता के बारे में सौरभ चक्रवर्ती ने कहा कि सार्वजनिक रुप से बयानबाजी करने वाले पद के लालची हैं. जिन नेताओं ने भाजपा से सांठगांठ की है वही ज्यादा शोर मचा रहे हैं. हालांकि उनका मानना है कि ऐसे नेताओं को भी साथ में लेकर चलना जरूरी है. ऐसा नहीं करने से आपसी कलह बढ़ सकती है जिसका खमियाजा दल को भुगतना पड़ सकता है.

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