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देश के साथ-साथ बढ़ाया झारखंड का भी गौरव, जमशेदपुर के प्रशांत रंगनाथन के नाम पर भी होगा एक ग्रह

जमशेदपुर के कारमेल जूनियर कॉलेज के 12वीं के छात्र प्रशांत रंगनाथन ने शानदार उपलब्धि दर्ज की है. झारखंड के इस बेटे के नाम पर एक छोटे ग्रह का नाम रखा जायेगा. प्रशांत ने यह सफलता इंटेल इंटरनेशनल साइंस एंड इंजीनियरिंग फेयर (इंटेल आइएसइएफ) में गोल्ड मेडल जीत कर हासिल की और देश के साथ-साथ झारखंड […]

जमशेदपुर के कारमेल जूनियर कॉलेज के 12वीं के छात्र प्रशांत रंगनाथन ने शानदार उपलब्धि दर्ज की है. झारखंड के इस बेटे के नाम पर एक छोटे ग्रह का नाम रखा जायेगा. प्रशांत ने यह सफलता इंटेल इंटरनेशनल साइंस एंड इंजीनियरिंग फेयर (इंटेल आइएसइएफ) में गोल्ड मेडल जीत कर हासिल की और देश के साथ-साथ झारखंड का भी नाम रोशन किया है.
जमशेदपुर/रांची: अमेरिका में हुए इंटेल इंटरनेशनल साइंस एंड इंजीनियरिंग फेयर में प्रशांत ने इन्वायरनमेंट इंजीनियरिंग श्रेणी में गोल्ड मेडल जीता था. इसके अलावा भी उसे दो अलग-अलग कैटेगरी में पुरस्कार मिले थे. प्रशांत ने ‘बायोडिग्रेशन ऑफ क्लोरोपिरिफोस यूजिंग नेटिव बैक्टीरिया’ प्रोजेक्ट के जरिये मिट्टी में कीटनाशकों के क्षरण पर एक शोध किया था. इस रिसर्च का आनेवाले दिनों में दुनिया भर के किसानों को काफी फायदा होने वाला है.

प्रशांत की इसी उपलब्धि के लिए मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के लिंकन लैबरेटरी ने एक ग्रह का नाम प्रशांत के नाम पर रखने की घोषणा की है. यह मार्श और जूपिटर के बीच का एक छोटा ग्रह है. छोटे ग्रहों का नाम रखने का अधिकार लिंकन लेबरेटरी के पास है. इसे लेकर लिंकन लेबरेटरी ने प्रशांत को अधिकारिक रूप से एक ई-मेल भी किया है. इससे पूर्व प्रशांत रंगनाथन को टीम इंडस द्वारा लैब टू मून प्रोजेक्ट में भी पूरे विश्व में टॉप 25 में स्थान मिला था. जिस प्रोजेक्ट के तहत उसने यह खोज की थी कि अंतरिक्ष पर भी गेंहू की खेती की जा सकती है. प्रशांत के पिता एस. रंगनाथन जमशेदपुर स्थित एनएमएल में सीनियर साइंटिस्ट हैं.
अविस्मरणीय कार्य करनेवालों को मिलता है यह सम्मान : सेरेस कनेक्शन के तहत हासिल की उपलब्धि मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के लिंकन लेबरेटरी की अोर से सेरेस कनेक्शन यह कार्यक्रम शुरू किया गया है. इसके तहत दुनिया भर के सम्मानित वैज्ञानिक सदस्य पांचवीं से बारहवीं तक के ऐसे विद्यार्थी जिन्होंने साइंस एंड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अविस्मरणीय कार्य किया है, उनके नाम का चयन छोटे ग्रहों के नामकरण करते हैं. वर्ष 1919 में अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ के गठन के बाद यह अधिकार दिया गया है. दुनिया के करीब 15000 लोगों को यह सम्मान मिल चुका है.
8000 अमेरिकी डॉलर का मिला है पुरस्कार
अमेरिका में हुए इंटेल इंटरनेशनल साइंस एंड इंजीनियरिंग फेयर में उसे इन्वायरनमेंट इंजीनियरिंग श्रेणी में अव्वल स्थान हासिल हुआ है. इसके अलावा भी उसे दो अलग-अलग कैटेगरी में पुरस्कार मिला है. इस सफलता के बाद उसे उक्त संस्था द्वारा 8000 अमेरिकी डॉलर बतौर पुरस्कार के रूप में दिया गया. जबकि जमशेदपुर के कारमेल जूनियर कॉलेज प्रबंधन को इसके लिए 1000 डॉलर का पुरस्कार दिया गया.
स्कूल के बगैर सपोर्ट के मैं इस प्रोजेक्ट को तैयार नहीं कर सकता था. मैं लगातार तीन महीने स्कूल से बाहर रहा. इस दौरान स्कूल प्रबंधन ने मुझे पूरा सपोर्ट दिया. मैं रूरल इंडिया की तसवीर बदलना चाहता हूं. इसके लिए मैं इस तरह की तकनीक का आविष्कार करना चाहता हूं, जिसमें कम लागत अौर कम जमीन पर ज्यादा से ज्यादा पैदावार हो. इससे भारत कृषि के क्षेत्र में सबल बनेगा, अौर देश के किसान खुशहाल होंगे.
प्रशांत रंगनाथन
Prabhat Khabar Digital Desk
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