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रांची : नियम विरुद्ध कोल लोडिंग को सफेदपोशों का है संरक्षण

बड़कीचापी में बना है रेलवे साइडिंग, सैकड़ों गाड़ियों से हो रही है रैक लोडिंग रांची : लोहरदगा जिला के बड़की चापी, कमले में कोयला रैक लोडिंग का काम नियम-कानून को ताक पर रख कर किया जा रहा है़ लोहरदगा-टोरी रेलवे मार्ग पर बड़की चापी में बना साइडिंग से आम्रपाली, खलारी सहित दूसरे खदानों को कोयला […]

बड़कीचापी में बना है रेलवे साइडिंग, सैकड़ों गाड़ियों से हो रही है रैक लोडिंग
रांची : लोहरदगा जिला के बड़की चापी, कमले में कोयला रैक लोडिंग का काम नियम-कानून को ताक पर रख कर किया जा रहा है़ लोहरदगा-टोरी रेलवे मार्ग पर बड़की चापी में बना साइडिंग से आम्रपाली, खलारी सहित दूसरे खदानों को कोयला भेजा जाता है.
लोहदरगा के कमले गांव में बनाये गये कोयला लोडिंग प्वाइंट में प्रदूषण सहित दूसरे मानकों का ख्याल नहीं रखा गया है़ इस साइडिंग प्वाइंट से हिंडालको, जिंदल, वेदांता और प्रयागराज जैसी कंपनियां कोयला राज्य से बाहर भेजती है़ हर दिन दो सौ से ज्यादा डंपर और ट्रक का परिचालन इस साइडिंग से होता है़ कोयला साइडिंग के कारण पूरा इलाका प्रदूषण से प्रभावित है. लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ होती है.
टीबी, दमा के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. बड़की चापी साइडिंग के पास 25 हजार हेक्टेयर जमीन में लगी फसल भी बरबाद हो रही है. नदी भी प्रदूषित हो गया है़ मुख्यमंत्री सचिवालय में भी इसकी शिकायत की गयी है. जानकारी के मुताबिक, कोयला लोडिंग के लिए सिर्फ हिंडालको कंपनी को प्रदूषण बोर्ड का एनओसी मिला है. अन्य कंपनियां बिना एनओसी के कोयला लोडिंग कर रही है़ ऐसी कंपनियों को सफेदपोश लोगों का संरक्षण प्राप्त है. उनकी पहुंच ऊपर तक है.
मुख्यमंत्री सचिवालय ने दिया है जांच का आदेश
लाल अजय नाथ शाहदेव ने इस मामले में मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिख कर गलत तरीके से चल रहे कोयला लोडिंग के काम की जानकारी दी है़ मुख्यमंत्री को बताया गया है कि किस तरह चंद लोग मिल कर प्रदूषण विभाग की अनुमति के बिना लोडिंग का काम कर रहे है़ं प्रदूषण से पूरा इलाका परेशान है़ इसके बाद मुख्यमंत्री सचिवालय ने पूरे मामले की जांच करने का आदेश संबंधित विभाग को दिया है़ साथ ही जांच रिपोर्ट से मुख्यमंत्री सचिवालय को अवगत कराने का निर्देश दिया गया है़
ग्रामीण विकास विभाग की अनुमति से चल रहीं गाड़ियां
कोयला लोडिंग के लिए साइडिंग तक पहुंचने के अस्थायी कच्ची सड़क का उपयोग किया जा रहा है़ ग्रामीण सड़क पर भारी गाड़ियां गुजर रही है़ं कोयला लोडिंग से जुड़े ठेकेदारों ने जबरन चाैड़ी सड़क बना ली है़ इसके लिए ग्रामीण विकास विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गयी है़ ग्रामीणों की रैयती जमीन अधिग्रहित कर सड़क बनायी गयी है़ सूचना अधिकार कानून के तहत ग्रामीणों से सूचना मांगी, तो विभाग ने बताया कि बड़े वाहनों के परिचालन से संबंधित कोई अनुमति नहीं ली गयी है़
प्रदूषण से छह से अधिक गांव हैं प्रभावित
कोयला साइडिंग के कारण हो रहे प्रदूषण से पांच से अधिक गांवों के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. कमले, ओपा, छोटकी चापी, बंदूवा, बड़की चापी, सुकमार, हेसल गांव के लोग खुली हवा में सांस भी नहीं ले सकते. लोग घरों से बाहर निकलते हैं, तो नाक और मुंह ढक कर. प्रदूषण नियंत्रण या उसकी रोकथाम के लिए कंपनियां कोई पहल नहीं करती है.
क्या-क्या मानक हैं
कोयला के भंडारण को ढंक कर रखना है़
सड़कों और प्रदूषित क्षेत्र में धूलकण से बचाव के लिए पानी का छिड़काव होना चाहिए़
स्कूल और अस्पताल का विशेष ख्याल रखा जाना है़ इसके आसपास प्रदूषण नहीं होना चाहिए़
लोडिंग के लिए पेड़ काट दिये गये, इसके लिए वन विभाग की अनुमति भी नहीं लीगयी.जरूरी है़

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