नयी दिल्ली : पिछले लोकसभा चुनाव में शून्य पर पहुंची बसपा के लिए पांच साल बाद संसद के निचले सदन में फिर से दस्तक देने की उम्मीद जागी है. गुरुवार को लोकसभा चुनाव की मतगणना के शुरुआती रुझान में बसपा ने उत्तर प्रदेश की दर्जन भर सीटों पर बढ़त बना ली थी. हालांकि, चुनाव परिणाम के रुझान उत्तर प्रदेश में भाजपा को मजबूत चुनौती देने के उद्देश्य से बने सपा बसपा गठबंधन के लिए निराशाजनक रहे, लेकिन कम से कम बसपा के लिए इससे लोकसभा में अपनी मौजूदगी सुनिश्चित करने की उम्मीद पैदा हुई है.
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उल्लेखनीय है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को राष्ट्रीय स्तर पर 4.19 फीसदी वोट प्राप्त होने के बावजूद एक भी सीट नहीं मिली थी. पार्टी ने पिछले चुनाव में लोकसभा की 543 सीट में से 503 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. सुबह आठ बजे मतगणना शुरू होने के बाद दो घंटों के रुझान में बसपा के छह उम्मीदवारों ने उत्तर प्रदेश में शुरुआती बढ़त बना ली थी. दोपहर बाद तीन बजे तक बसपा के 12 उम्मीदवार आगे चल रहे थे. वहीं, गठबंधन के सहयोगी दल सपा के सिर्फ छह सीटों पर आगे थे.
ज्ञात हो कि 2009 के चुनाव में 21 सीट जीतने वाली बसपा के लिए 2014 के चुनाव में शून्य पर सिमटने के बाद बसपा के लिए 2019 का लोकसभा चुनाव वजूद की लड़ाई बन गया था. बसपा उम्मीदवारों ने गाजीपुर, मेरठ और सहारनपुर सहित पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दर्जन भर सीटों पर बढ़त बना ली है.
वहीं, सपा को पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की आजमगढ़ सीट के अलावा अपने परंपरागत गढ़ रामपुर, फिरोजाबाद और मैनपुरी सहित छह सीटों पर निर्णायक बढ़त के आधार इन सीटों को जीतने की उम्मीद है. उल्लेखनीय है कि गाजीपुर में बसपा के उम्मीदवार अफजाल अंसारी ने केन्द्रीय मंत्री और भाजपा उम्मीदवार मनोज सिन्हा से लगभग 40 हजार मतों से बढ़त बनायी हुई. वहीं, रामपुर से सपा के आजम खान भाजपा की जयाप्रदा से आगे हैं.