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झारखंड : लोहरदगा का वात्सल्य केंद्र बंद, जानें क्या होगा असर

दुर्जय पासवान गुमला : झारखंड सरकार ने लोहरदगा जिला में संचालित वात्सल्य विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी का अनुबंध रद्द कर दिया है. यह केंद्र सृजन फाउंडेशन की देखरेख में चल रहा था. केंद्र का अनुबंध रद्द होने के बाद यह बंद हो गया है. केंद्र के बंद होने के बाद यहां रखे गये 0-6 वर्ष […]

दुर्जय पासवान

गुमला : झारखंड सरकार ने लोहरदगा जिला में संचालित वात्सल्य विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी का अनुबंध रद्द कर दिया है. यह केंद्र सृजन फाउंडेशन की देखरेख में चल रहा था. केंद्र का अनुबंध रद्द होने के बाद यह बंद हो गया है. केंद्र के बंद होने के बाद यहां रखे गये 0-6 वर्ष के छह बच्चों को गुमला व लोहरदगा जिला के सीडब्ल्यूसी (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) को सौंप दिया गया है. इसमें गुमला के तीन व लोहरदगा के तीन बच्चे थे.

सभी बच्चों को दोनों जिला के सीडब्ल्यूसी ने वापस लेते हुए चैरिटी को सौंप दिया है. जब तक इन बच्चों को कोई गोद नहीं ले लेता, तब तक चैरिटी में इनका पालन-पोषण होगा. जानकारी के अनुसार, आवासीय सुविधा व प्रशिक्षित स्टाफ नहीं मिलने के कारण केंद्र को बंद करना पड़ा है. केंद्र बंद होने से अब वैसे बच्चों को रखने में परेशानी होगी, जिनको उनके माता-पिता जन्म के बाद छोड़ देते हैं या कहीं फेंक देते हैं.

सृजन फाउंडेशन की ऑफिसर इंचार्ज पुष्पा शर्मा ने बताया कि लोहरदगा जिले में वात्सल्य स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी में आवासीय सुविधा की कमी व प्रशिक्षित कर्मी नहीं मिल रहे थे. इसलिए संस्था ने सरकार को एजेंसी सरेंडर करने के संबंध में पत्र लिखा था. उन्होंने कहा कि वात्सल्य केंद्र चलाने के लिए 6 हजार वर्ग फुट भू-खंड पर आवास और उसमें तमाम सुविधाओं की जरूरत थी. संस्था को उतनी जमीन नहीं मिली. साथ ही ट्रेंड स्टाफ भी नहीं मिल रहे थे.

इसलिए फाउंडेशन ने ‘वात्सल्य केंद्र’ को सरेंडर कर दिया. 31 दिसंबर, 2019 को सरकार ने केंद्र का अनुबंध रद्द कर दिया. इसके बाद केंद्र को बंद कर दिया गया. जो बच्चे केंद्र में थे, उन्हें गुमला व लोहरदगा सीडब्ल्यूसी को सौंप दिया गया. इंचार्ज ने बताया कि लोहरदगा में चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट व वात्सल्य स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी एक साथ संचालित हो रहा था.

उन्होंने बताया कि चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट में अब तक 129 बच्चों (6 से 17 साल के बच्चे) को रखा गया था. इनमें से कई बच्चों को उनके परिवार आकर ले गये. वात्सल्य स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी में 19 बच्चे थे. इसमें अभी छह बच्चे बचे थे. सभी को गुमला व लोहरदगा सीडब्ल्यूसी को वापस कर दिया गया है.

अब ये परेशानी होगी

चूंकि गुमला से लोहरदगा 52 किमी दूर है. ऐसे में जो नवजात बच्चे सीडब्ल्यूसी के पास आते थे. उन नवजातों को सीडब्ल्यूसी लोहरदगा में संचालित वात्सल्य स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी में रखता था. लोहरदगा में मिलने वाले नवजातों को भी इसी केंद्र में रखा जाता था. अब इस केंद्र के बंद हो जाने के बाद इन बच्चों को रखने की समस्या उत्पन्न होगी.

अब ये विकल्प है

लोहरदगा का वात्सल्य स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी बंद होने के बाद अब नवजात बच्चों को रांची या फिर खूंटी के केंद्र में भेजना होगा. या फिर तत्काल में सुविधा के अनुसार सिस्टर ऑफ चैरिटी में रखा जायेगा, जहां नवजात की देखभाल हो सके.

उल्लेखनीय है कि गुमला में अक्सर बिन ब्याही मां शिशु को जन्म देने के बाद उसकी परवरिश नहीं करना चाहती. ऐसे में मां अपने बच्चे को सीडब्ल्यूसी को सौंप देती है. साथ ही कुछ मामलों में माता-पिता की मौत पर भी उसके रिश्तेदार नवजात को सीडब्ल्यूसी को सौंप देते हैं. कुछ मामलों में कोई अपने जन्मे बच्चे को कहीं फेंक देते हैं. उन बच्चों को लोग सीडब्ल्यूसी को सौंप देते हैं. लोहरदगा में भी इसी प्रकार के मामले आते हैं. इन बच्चों को सीडब्ल्यूसी अपने संरक्षण में लेने के बाद वात्सल्य स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी को सौंप देता था.

गुमला के छह नवजातों को लोहरदगा के वात्सल्य स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी को दिया गया था. इसमें तीन बच्चों को तीन परिवारों ने गोद ले लिया है. अभी तीन बच्चे लोहरदगा में थे. वात्सल्य स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी के बंद होने के बाद उन तीन बच्चों को वापस सीडब्ल्यूसी गुमला को सौंप दिया गया है. इन बच्चों को फिलहाल चैरिटी में रखा गया है.

कृपा खेस, सदस्य, सीडब्ल्यूसी, गुमला

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