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पश्चिम बंगाल : चुनावों से पहले कैब को लेकर भाजपा के खिलाफ माहौल बनायेगी तृणमूल कांग्रेस

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में हालिया उपचुनाव में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रचार कर जीत हासिल करने से उत्साहित तृणमूल कांग्रेस की निगाहें अब 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) के मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने पर टिकी हैं. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि […]

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में हालिया उपचुनाव में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रचार कर जीत हासिल करने से उत्साहित तृणमूल कांग्रेस की निगाहें अब 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) के मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने पर टिकी हैं. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि पार्टी चुनाव के दौरान विवादित विधेयक के खिलाफ प्रचार पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसे पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने ‘दूसरा स्वतंत्रता संग्राम’ करार दिया है.

इन नेताओं को लगता है कि आगामी चुनाव में 120 सीटें निर्णायक साबित होंगी, जहां अल्पसंख्यक और शरणार्थी आबादी अच्छी खासी तादाद में है. नागरिकता संशोधन विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आये हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता प्रदान करने की बात कही गयी है, जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो.

छह दशक पुराने नागरिकता अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन के बाद इन्हें अवैध प्रवासी न मानकर भारतीय नागरिकता दी जायेगी. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कोलकाता में एक रैली में कहा था कि वह इस विधेयक का समर्थन करेंगी, अगर हर शरणार्थी को नागरिकता दी जाये, चाहे वह किसी भी धर्म को मानने वाला हो.

बनर्जी ने कहा था, ‘हम पहले स्वतंत्रता संग्राम में भाग नहीं ले सके, जिससे हमें आजादी मिली. लेकिन हम दूसरे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेंगे. हम एनआरसी और कैब का विरोध करेंगे.’ तृणमूल नेताओं ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि पार्टी के शीर्ष नेताओं की राय है कि राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) के बाद यह विधेयक ‘बंगाल में भाजपा के ताबूत में आखिरी कील’ साबित होगा.

तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हम सभी ने देखा है कि लोकसभा चुनावों के केवल छह महीने बाद बंगाल में कैसे माहौल भाजपा के खिलाफ हो गया है. असम में एनआरसी ने उनके खिलाफ काम किया. अब यह नागरिकता संशोधन विधेयक भाजपा को और नुकसान पहुंचायेगा. वह इन दोनों मुद्दों पर जनता के मनोभाव को भांपने में नाकाम रहे.’

उन्होंने कहा, ‘हमने भी शरणार्थी कॉलोनियों को नियमित किया, लेकिन इसे धर्म के चश्मे से नहीं देखा. वे (भाजपा सरकार) नागरिकता देने के लिए मानदंड तय कर सकते हैं, लेकिन धर्म कभी भी मानदंड नहीं हो सकता.’ उन्होंने राज्य में होने वाले आगामी चुनावों में पार्टी को विधेयक के खिलाफ प्रचार से फायदा होने की उम्मीद जतायी. पश्चिम बंगाल में अगले साल नगर निकाय के चुनाव होने हैं.

तृणमूल कांग्रेस के नेता ने कहा, ‘एनआरसी की तरह, कैब भी बड़ी भूल होगी. यह हमारे लिए बंगाल में भाजपा के खिलाफ राजनीतिक तुरुप का इक्का साबित होगी.’ गौरतलब है कि इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को बंगाल में 18 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन इसके छह महीने बाद हाल ही में तीन विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में उसे एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई.

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