कोलकाता: आज डनलप कारखाने का दौरा करने के बाद हमे एहसास हुआ कि डनलप प्रबंधक कारखाना खोलना ही नहीं चाहता, लेकिन मैं इतना साफ कर देना चाहता हूं कि श्रमिकों को हम न्याय दिलायेंगे और इतने बड़े भूखंड को यूं ही बरबाद नहीं होने देंगे. यह बातें सोमवार को एक पांच सितारा होटल में पत्रकारों को संबोधित करते हुए राज्यसभा के सांसद और संसदीय स्थायी वाणिज्यिक कमेटी के अध्यक्ष चंदन मित्र ने कहीं.
उन्होंने बताया कि संसदीय स्थायी वाणिज्यिक कमेटी की नौ सदस्यीय टीम सोमवार को हुगली के शाहगंज स्थित डनलप कारखाने का दौरा करने गयी थी. इस दौरान उन्होंने डनलप मैनेजमेंट के उच्च अधिकारियों के साथ बैठक भी की और कंपनी को खोलने की हर संभावना को तलाशने का प्रयास किया.
श्री मित्र ने बताया कि केंद्र सरकार कारखाने को खोलने का हर स्तर पर प्रयास कर रही है, लेकिन कंपनी के चेयरमैन पवन रुइया का बैठक में ना आना इशारा करता है कि वह डनलप कंपनी को नहीं खोलने का मन बना चुके हैं. बैठक में अधिकारियों द्वारा कंपनी को खोलने के लिए केंद्र सरकार से 574 करोड़ रुपये की मांग की गयी, जिसमें 250 करोड़ का पॉवर प्लांट बैठाने की बात है.
हम कंपनी का अधिग्रहण करने नहीं आये
पत्रकारों के सवाल का जबाव देते हुए श्री मित्र कहा : यह खबर गलत है कि हम कंपनी का अधिग्रहण करने के लिए यहां आये हैं, यह तो हमारी कमेटी के अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है. आज कारखाने की जो स्थिति हमने देखी, वह काफी खराब है. हमारी कमेटी अपना रिपोर्ट तीन महीने में सांसद व सरकार के सामने रखेगी. कारखाना नहीं खुलने से जहां एक ओर श्रमिकों का पीएफ और ग्रेच्युटी रुकी हुई है, वहीं 189 एकड़ जमीनी संपदा बेकार हो रही है. जहां श्रमिक भूखे-प्यासे कारखाना खुलने का आस लगाये हुए हैं, वहीं करोड़ों रुपये की मशीनें खराब हो रही हैं.
आइटी हब या फूड पार्क पर हो रहा विचार
यदि प्रशासन डनलप कारखाना खोलने को राजी नहीं होता है तो हम केंद्र सरकार से आग्रह करेंगे कि बंगाल की जनता के हित के लिए 189 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करें और वहां आइटी हब या फिर फूड प्रोसेसिंग पार्क बनाने के बारे में विचार किया जाये.
सेबी से की है शिकायत
इस दौरान सांसद मित्र ने कंपनी प्रशासन पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक ओर कंपनी डनलप कारखाना खोलने के लिए रुपये का रोना रो रही है, वहीं दूसरी तरफ कंपनी का शेयर, मुंबई शेयर बाजार में अभी भी व्यवसाय कर रहा है. यह बड़े आश्चर्य की बात है कि कंपनी प्रबंधक एक तरफ रुपये नहीं होने की दुहाई देकर लाखों-लाखों श्रमिकों की रोजी-रोटी छीन लेता है, वहीं दूसरी तरफ भीतर स्तर पर शेयर बाजार में ट्रेडिंग भी चला रहा है. संसदीय स्थायी वाणिज्यिक कमेटी के चेयरमैन के हैसियत से मैंने सेवी को पत्र लिख कर स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया है.