पर्यावरण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनिल माधव दवे का आज निधन हो गया. आरएसएस की पृष्ठभूमि से संबंध रखने वाले अनिल माधव दवे पर्यावरण से जुड़े मुद्दे को लेकर आजीवन संघर्ष करते रहे. राज्यसभा से सांसद अनिल माधव दवे की गिनती मध्य प्रदेश के कद्दावार नेता के रूप में होती है. विनम्र स्वभाव और सुलझे हुए व्यक्तित्व की वजह से उनकी लोकप्रियता दूसरे पार्टी के नेताओं तक थी. दिल्ली में दीपावली के वक्त जब प्रदूषण को लेकर उनसे सवाल पूछा गया कि राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर जिम्मेवार कौन है ? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था. यह वक्त दोषारोपण का नहीं , बल्कि जब कोई दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है तो यह पूछना गलत है कि दुर्घटना किसकी वजह से हुआ. सबसे पहले उसे अस्पताल में भर्ती करवाना चाहिए. कई गंभीर मुद्दों पर सटीक राय रखने की वजह से उनकी छवि एक धीर -गंभीर नेता के रूप में होती थी.
नर्मदा अभियान में निभायी थी सक्रिय भूमिका
अनिल माधव दवे नर्मदा समाग्रा नामक संगठन के संस्थापक थे. 19 दिनों में उन्होंने नर्मदा के किनारे 1312 किमी यात्रा तय की थी. पर्यावरण मुद्दों पर जागरूकता अभियान चलाने के लिए उन्होंने नदी उत्सव का आयोजन किया, जो अपने -आप में एशिया में अलग तरह का अभियान था. इस उत्सव के दौरान नदी संरक्षण से लेकर जलवायु परिवर्तन के मुद्दे उठाये गये.
कई किताबों के लेखक थे अनिल माधव दवे
पर्यावरण, आर्ट व कल्चर, इतिहास , प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन विषयों पर माधव दवे ने कई किताबें लिखी. इनमें शिवाजी और सुराज, शताब्दी के पांच काले पन्ने, संभल के रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से , महानायक चंद्रशेखर आजाद, रोॉी और कमल की कहानी, अमरकंटक से अमरकंटतक तक जैसे किताब शामिल है