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वीके शुंगलू ने भी केजरीवाल को कटघरे में किया खड़ा, कहा – संवैधानिक प्रक्रिया का किया है उल्लंघन

नयी दिल्ली : शुंगलू समिति की जिस रिपोर्ट पर इस समय नगर निगम चुनाव के समय दिल्ली की राजनीति गरमायी हुई है, उस समिति के अध्यक्ष वीके शुंगलू ने भी केजरीवाल सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि सरकार ने संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन किया है. वहीं, शुंगलू समिति की रिपोर्ट को […]

नयी दिल्ली : शुंगलू समिति की जिस रिपोर्ट पर इस समय नगर निगम चुनाव के समय दिल्ली की राजनीति गरमायी हुई है, उस समिति के अध्यक्ष वीके शुंगलू ने भी केजरीवाल सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि सरकार ने संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन किया है. वहीं, शुंगलू समिति की रिपोर्ट को लेकर की जा रही राजनीति पर आप के नेता आशुतोष ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा है कि चुनाव आते ही भाजपा ऐसे-ऐसे हथकंडे अपनाती है.

मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, शुंगलू रिपोर्ट के आने के बाद दिल्ली सरकार को लेकर कई अहम खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार पर अनियमितता का आरोप लगाया गया है. इस रिपोर्ट में पार्टी के दफ्तर से लेकर अपने लोगों को नियुक्ति देने तक हर किसी चीज पर रिपोर्ट पेश की गयी है, जिसमें संविधान के नियमों से आगे जाकर इन चीजों को पूरा किया गया.

शुंगलू कमेटी के अध्यक्ष वीके शुंगलू ने एक समाचार चैनल को दिये साक्षात्कार में कहा कि रिपोर्ट तो नवंबर में ही सौंप दी गयी थी. अब आरटीआई के जरिये जिसने मंगायी और जारी की सवाल तो उससे होना चाहिए न कि मुझसे. रही बात रिपोर्ट में कही गयी बातों की तो जो संविधान कहता है, हमने उस पर ही अपनी रिपोर्ट दी है.

हमें चार सौ से ज्यादा फाइलें तब के उपराज्यपाल नजीब जंग ने भेजी थीं और हमने उन सबमें मौजूद दस्तावेजों का अध्ययन करके उस पर ये रिपोर्ट भेजी की संविधान की परिपाटी क्या है और किया क्या गया है. जहां-जहां हमें संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन लगा, वहां हमने वहां टिप्पणी की है. किसी के काम में कमी निकालना हमारा काम नहीं है.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल के रहने के लिए सरकारी बंगला आवंटित करने के दस्तावेज के साथ पूरे सबूत मौजूद हैं, लेकिन दिल्ली सरकार महिला आयोग की अध्यक्ष को सरकारी बंगला आवंटित नहीं कर सकती. अब दिल्ली सरकार कहती रहे कि वो तो बेस कैंप बनाने के लिए इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन दिल्ली सरकार के आदेश के दस्तावेज तो उसे महिला आयोग की रिहाइश के लिए अलॉट करने की तस्दीक कर रहे हैं.

शुंगलू के इस बयान के बाद तो सवाल दिल्ली सरकार पर उठने चाहिए कि अगर बेस कैंप बनाने के लिए बंगला चाहिए था तो अर्जी भी इसी की दी जानी चाहिए थी. अर्जी रिहाइश के लिए और इस्तेमाल बेस कैंप के लिए.

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