चेन्नई: तमिलनाडु की राजनीति दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुकी है. अन्नाद्रमुक के महासिचव शशिकला ने जहां एक ओर सीएम की दावेदारी मजबूत करने के लिए विधायकों को रिजार्ट में रखा है. वहीं पनीरसेल्वम के खेमे में सांसदों,विधायकों और नेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है. पनीरसेल्वम गुट में अन्नाद्रमुक के सांसदों की संख्या बढ़कर दस हो गयी है. इनमें 8 सांसद लोकसभा के हैं और दो राज्यसभा सांसद है. इससे पहले छह विधायकों ने पनीर को समर्थन देने की घोषणा की थी.
सत्ताधारी अन्नाद्रमुक के बीच चल रहे सत्तासंघर्ष के बीच आज ओ पनीरसेल्वम को तीन और सांसदों का समर्थन मिल जाने पर उनके खेमे को मजबूती मिली है.पार्टी के लोकसभा सांसदों- जयसिंह त्यागराज नटर्जी (तूतिकोरिन), सेंगूट्टूवन (वेल्लोर) और आर पी मरुथाराजा (पेरंबलूर) ने पनीरसेल्वम को अपना समर्थन दिया है.
इन सांसदों ने आज सुबह पनीरसेल्वम से उनके ग्रीनवेज रोड स्थित आवास पर मुलाकात की और उनके प्रति एकजुटता दिखाई.अन्नाद्रमुक के चार लोकसभा सांसदों- पी आर सुंदरम, के अशोक कुमार, वी सत्यभामा और वनरोजा पहले ही मुख्यमंत्री को समर्थन देने का वादा करके उनके खेमे में आ गए थे. राज्यसभा के सांसद वी मैत्रेयन भी पनीरसेल्वम के खेमे में हैं.इस समय पनीरसेल्वम के पास उनके समेत सात विधायकों का भी समर्थन है. तमिलनाडु की 235 सदस्यीय विधानसभा में अन्नाद्रमुक के 135 विधायक हैं.
अन्नाद्रमुक की मत्स्य शाखा के संयुक्त सचिव के ए जयापॉल और इरोड की पूर्व महापौर मल्लिका परमशिवन भी आज पनीरसेल्वम के खेमे में हैं. जयापॉल वर्ष 2011-16 में जयललिता के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे हैं. पांच फरवरी को अन्नाद्रमुक की महासचिव वी के शशिकला को पार्टी के विधायी दल की नेता चुना गया था ताकि उन्हें तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनाने का रास्ता साफ हो सके.हालांकि दो दिन बाद, पनीरसेल्वम ने उनके खिलाफ बगावत कर दी और आरोप लगाया कि उन्हें शशिकला के लिए इस्तीफा देने पर विवश किया गया.लोकसभा में अन्नाद्रमुक के 37 और राज्यसभा में 13 सांसद हैं