नयी दिल्ली : संसद का शीतकालीन सत्र नोटबंदी की भेंट चढ़ गया. कोई भी ऐसा दिन नहीं रहा कि संसद सुचारू रूप से चला हो. संसद नहीं चलने से आहत एक सांसद ने अपनी सैलरी और मिलने वाला भत्ता लौटा दिया है. ओडिशा से बीजू जनता दल के सांसद बैजयंत जय पांडा ने संसद नहीं चलने से काफी नाराज हैं और उन्होंने जितने दिन सत्र नहीं चले उतने दिन की अपनी सैलरी और भत्ता लौटा दिया. ऐसी खबर है कि पांडा यह पहली बार नहीं कर रहे हैं बल्कि उन्होंने इससे पहले भी ऐसा किया है. उन्होंने बताया कि वो पिछले चार सालों से ऐसा ही करते आये हैं.
पांडा ने इसका खुलासा खुद ही किया है. पांडा ने कहा, यह सिर्फ इशारा है, हंगामे के कारण संसद नहीं चल पाती है और देश की बड़ी रकम बर्बाद हो जाती है. उन्होंने कहा, जनता जिस काम के लिए हमें जीताकर संसद भेजती है हम उसमें खरे नहीं उतर रहे हैं. सांसदों को जिमेदारी के साथ संसद की कार्रवाई चलने देनी चाहिए. उन्होंने बताया कि वो 16 सालों में कभी भी हंगामा कर संसद की कार्रवाई नहीं रुकवाई है. यह पूछने पर कि क्या दूसरे सांसदों को भी ऐसा ही करना चाहिए, इसपर उन्होंने कहा, ऐसा करने के लिए किसी भी सांसद पर दबाव नहीं बनाया जा सकता है. यह फैसला तो खुद से लेना चाहिए.
* संसद नहीं चलने से आडवाणी को भी आया गुस्सा
लोकसभा में पिछले करीब तीन सप्ताह से जारी गतिरोध पर वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का आक्रोश फिर से फूट पड़ा और उन्होंने कहा कि उनका तो ‘‘इस्तीफा देने का मन कर रहा है.’ आडवाणी ने इसके साथ ही व्यथित स्वर में कहा था कि नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा किए बिना यदि लोकसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गयी तो ‘‘संसद हार जाएगी और हम सब की बहुत बदनामी होगी.’