नयी दिल्लीः किसी महिला का न्यूड चित्र अश्लील नहीं माना जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की व्याख्या करते हुए यह स्पष्टीकरण दिया है. 154 वर्ष पुराने आइपीसी में अश्लीलता की धारा की व्याख्या करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी महिला का न्यूड चित्र आइपीसी की धाराओं व इंडिसेंट रिप्रेजेंटेशन ऑफ वीमन (प्रॉहिबिशन) एक्ट के तहत अश्लील नहीं माना जा सकता है. यह खबर ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने दी है.
क्या है मामला : शीर्ष कोर्ट ने दो प्रकाशन संस्थाओं के खिलाफ इन धाराओं के तहत चल रहे मुकदमे को खारिज करते हुए यह विचार व्यक्त किया. उन पत्रिकाओं ने प्रसिद्ध जर्मन टेनिस खिलाड़ी बोरिस बेकर व उनकी मंगेतर अभिनेत्री बारबरा फेल्टस की न्यूड तसवीर छापी थी. यह चित्र जर्मन पत्रिका स्टर्न ने पहले छापी थी. इन्हें रेसिज्म के खिलाफ बेकर की आवाज बुलंद करने के लिए छापा गया था.
जस्टि राधाकृष्णन ने कहा कि कोई चित्र अश्लील है या नहीं, इसका फैसला करने के लिए अदालतों को उसकी प्रासंगिकता और राष्ट्रीय मानदंड को समझना होगा, न कि मुट्ठी भर असंवेदनशील व झुक जानेवाले लोगों के मानदंड को.