नयी दिल्ली : रेल यात्रा करते वक्त अगर आपका सामान चोरी हो जाए तो रेलवे आपको मुआवजा देगा. आरक्षित रेलवे कोच में अनधिकृत व्यक्ति दाखिल न हो, इसकी पूरी जिम्मेदारी टीटीई की होती है. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अनुसार अगर रेलवे सुरक्षा सेवा देने में नाकाम रहा, तो हर्जाना देना होगा.
न्यायमूर्ति चंद्रमौलि कुमार प्रसाद व पिनाकी चंद्र घोष की पीठ ने रेलवे की याचिका खारिज करते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया. रेलवे की दलील थी कि उपभोक्ता अदालत रेलवे के खिलाफ दावे पर सुनवाई ही नहीं कर सकती. ऐसे मामलों की सुनवाई सिर्फ रेलवे क्लेम टिब्यूनल में हो सकती है. जबकि, यात्री के वकील अजीत शर्मा का कहना था कि रेलवे टिब्यूनल में केवल उन दावों पर विचार होता है जो सामान रेलवे में बुक किए जाते हैं. यहां मामला भिन्न है और उपभोक्ता आयोग का फैसला बिल्कुल सही है.
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने भी रेलवे की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि इस बात में कोई विवाद नहीं है कि शिकायतकर्ता (डॉक्टर शोभा) अपनी बेटी के साथ आरक्षित बोगी में यात्र कर रही थीं. टीटीई की जिम्मेदारी थी कि वह सुनिश्चित करे कि कोई अनधिकृत व्यक्ति रिजर्व कोच में न घुसने पाए. टीटीई रात में अनधिकृत व्यक्ति का कोच में प्रवेश रोकने में नाकाम रहा इसलिए उपभोक्ता अदालत का रेलवे को सेवा में कमी का जिम्मेदार ठहराने का फैसला ठीक है. आयोग ने कहा कि इस तरह का मामला रेलवे क्लेम टिब्यूनल के तहत नहीं आता और उसके आधार पर उपभोक्ता अदालतों का क्षेत्राधिकार बाधित नहीं होता.