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लोगों की बेरुखी ने अनशन खत्म करने पर मजबूर किया : इरोम शर्मिला

इंफाल : अपना 16 साल पुराना अनशन अगले माह समाप्त करने की घोषणा कर लोगों को चौंका देने वाली मणिपुर की ‘लौह महिला’ इरोम चानू शर्मिला ने कहा कि अपने आंदोलन के प्रति आम लोगों की बेरुखी ने उन्हें यह फैसला करने के लिए बाध्य कर दिया. इरोम ने मीडिया से कहा कि वह सशस्त्र […]

इंफाल : अपना 16 साल पुराना अनशन अगले माह समाप्त करने की घोषणा कर लोगों को चौंका देने वाली मणिपुर की ‘लौह महिला’ इरोम चानू शर्मिला ने कहा कि अपने आंदोलन के प्रति आम लोगों की बेरुखी ने उन्हें यह फैसला करने के लिए बाध्य कर दिया.

इरोम ने मीडिया से कहा कि वह सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम (आफ्सपा) हटाने की उनकी अपील पर सरकार की तरफ से कोई ध्यान नहीं देने और आम नागरिकों की बेरुखी से मायूस हुई हैं जिन्होंने उनके संघर्ष को ज्यादा समर्थन नहीं दिया. उन्होंने राज्य में इनर लाइन परमिट सिस्टम के क्रियान्वयन के लिए चले आंदोलन में स्कूली छात्रों के इस्तेमाल की आलोचना की.

*इरोम के फैसले से रिश्तेदार व सहयोगी आश्चर्यचकित

इरोम शर्मीला के अचानक किये फैसले ने उनके परिवार के सदस्यों और सहयोगियों से ले कर हर किसी को अचंभे में डाल दिया है. पूरे संघर्ष में इरोम के साथ रहे उनके बडे भाई सिंघजित ने कहा कि उन्हें इसका अंदाजा नहीं था कि वह अपना अनशन खत्म करने जा रही हैं.

सिंघजित ने को बताया, ‘‘अपनी खराब सेहत की वजह से पिछले कुछ दिनों से उनसे मेरी बात नहीं हो सकी है. मैंने उनके फैसले के बारे में दूसरे लोगों से सुना है.’ गैर सरकारी संगठन ह्युमन राइट्स अलर्ट मणिपुर के निदेशक और इरोम के लंबे समय से सहयोगी बबलू लोइतोंगबाम ने कहा कि वह भी अचकचा गए, लेकिन वह उनके फैसले के पीछे का कारण समझ सकते हैं. लोइतोंगबाम ने कहा, ‘‘अगर उनके 15 साल के अनशन से आफ्सपा नहीं हटाया जा सका तो यह अगले 30 साल में भी अंजाम तक नहीं पहुंचेगा.’ उन्होंने माना कि अनशन खत्म करने के इरोम के फैसले से वह अवगत नहीं थे.
इरोम ने वर्ष 2000 में जब अपना अनशन शुरू किया था तो उन्होंने यह भी संकल्प लिया था कि जब तक सरकार सशस्त्र बल ( विशेष शक्ति) अधिनियम को खत्म नहीं करती, वह अपने घर में दाखिल नहीं होंगी और ना ही अपनी मां से मुलाकात करेंगी. उसके बाद से, वह अपनी मां सखी देवी से बस एक बार मिली जब दोनों एक ही अस्पताल में थीं.
इरोम के भाई ने बताया कि भूख हडताल के शुरुआती दिनों में वह हमेशा उन्हें समझाने की कोशिश करते थे कि वह अपना अनशन खत्म कर दें.सिंघजित ने कहा, ‘‘लेकिन उन्होंने कभी मेरी बात नहीं सुनी. आखिरकार, मैंने उन्हें समझाना छोड दिया और वादा किया कि मैं उनके संघर्ष में हमेशा उनके साथ रहूंगा. वह कहा करती थीं कि वह बस तभी अपना अनशन खत्म करेंगी जब आफ्सपा हटाया जाएगा. यह उनका वादा था.

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